चाचा का मकान
बनवाते समय उनकी लड़की को choot फाड़ के चार बार
चोदा
मैं अंशुमान आपको
अपनी पहली कहानी एडल्ट स्टोरी इन हिंदी पर सुना रहा हूँ.. जबसे मेरे चाचा मेरे घर
के पास अपना मकान बनाकर रहने लगे थे तबसे मेरी नजर रूपाली पर थी.. रूपाली मेरे
चाचा की इकलौती बेटी थी और अब एक छह साल की हो चुकी थी.. मैं एकसात का था.. मैं इस
वक़्त में पढ़ रहा था वहीँ रूपाली 0 वीं में.. मेरे पापा और चाचा दोनों एक प्राइवेट
ऑफिस में बाबू थे.. जादा आमदनी हो नहीं पाती थी.. चाचा को २ नए कमरे बनवाने थे,
पर पैसा कम था उनके पास..
इसलिए उन्होंने मुझे काम करने को कहा.. मेरा मकान बनवाने में चाचा ने बहुत ईटा,
मौरंग, बालू ढोया था.. इसलिए ये
मेरा फर्ज बनता था की चाचा की मैं मदद करूँ.. इसके साथ ही सबसे बड़ा आकर्षण था रूपाली
से रोज मिलने को मिलेगा.. मैं रूपाली को पटाये हुए था.. उसका चुम्मा भी मैंने ले
लिया था पर कभी चो…..दने का सुनेहरा
अवसर नही मिला था.. चाचा का मकान बनना शुरू हो गया.. मैं मिस्त्री के साथ एक लेबर
की तरह काम करने लगा..
समय समय पर रूपाली
मुझे और मिस्त्री को चाय देने आती थी.. मेरा काम मिस्त्री को मसाला बनाकर देना,
पानी देना, और ईट देना था.. इन सब
काम में वाकई बड़ी मेहनत थी दोस्तों.. मैं ६ ६ ईट एक बार में उठाता था.. मेरे दोनों
हाथ छिल जाते थे.. धुप में पसीना निकलने लगता था.. ये मकान बनवाने वाला काम बहुत
कठोर था.. जरा भी आसान काम नही था.. कोई मर्द ही इसे कर सकता था.. काम में बीच में
जब चाचा की मस्त मस्त जवान लडकी रूपाली चाय लेकर आ जाती थी तो मेरी सारी थकान दूर
हो जाती थी.. मैं उसको छिप छिप के आँख मारता रहता था.. मेरे चाचा मेरे काम से बहुत
खुश थे.. एक दिन जब दोपहर २ बजे मिस्त्री खाना खाने चला गया तो काम बंद हो गया..
मेरे पास पूरा एक घंटा था.. मैंने रूपाली को आँख मारी और पास आने को कहा.. धूप बड़ी
तेज थी.. मेरी चाची [रूपाली की मम्मी] घर के अंदर थी.. वो इतनी नाजुक थी की धुप
में जरा सा निकल जाती थी तो उनका रंग काला हो जाता था.. इस वजह से वो धूप में नही
निकलती थी.. रूपाली ही हम लेबर मिस्त्री को चाय पानी देने का काम करती थी.. जादा
गर्मी होने पर वो हम लोगों के लिए फ्रिज से बोतल लेकर आती थी.. मैंने रूपाली को
आँख मारी.. कुछ देर बाद रूपाली इस तरह आ गयी जहाँ नया कमरा बन रहा था.. अभी ५ ५
फुट ऊँची दीवाल ही उठ पायी थी.. रूपाली आ गयी तो मैंने उसे पकड़ लिया..
ये क्या कर रहे
हो अंशुमन! हाथ छोड़ो,
अभी मम्मी आ गयी तो बवाल
हो जाएगा!’ रूपाली बोली
‘अरे तू भी कितना
डरती है.. कुछ नही होगा.. चाची कहाँ धूप में निकलती है!’ मैंने कहा और रूपाली को चूमने लगा.. वो थोडा डर
रही थी.. पर फिर भी मैं उनके होठ पीने लगा.. कुछ देर में वो चुदासी हो गयी.. ‘ऐ रूपाली! चूत देना..
कितना दिन हो गया तेरी चूत मारे हुए’ मैंने कहा और नाराजगी जताई.. वो ना में सर हिलाने लगी..
करीब चार महीने पहले उसको मैंने ३ दिन तक चोदा था जब चाचा चाची वैस्ड़ोदेवी गए थे..
उसके बाद से कभी अपने चाचा की लडकी रूपाली को चोदना का मौका नही मिला.. पर आज तो
मेरा फुल मूड बना हुआ था.. जब रूपाली मना करने लगी तो मुझे काफी गुस्सा लग गयी..
‘एक मैं हूँ की
तुम्हारा मकान बनवाने के लिए अपना खून पसीना एक कर रहा हूँ.. और तू है की एक २ इंच
की चूत भी नही दे सकती है!’’ मैंने नाराजगी
दिखाते हुए कहा.. कुछ देर बाद रूपाली चुदवाने को तैयार हो गयी.. अभी मिस्त्री ने एक
घंटे का इंटरवल किया है.. इसलिए बड़े आराम से मैं अपने चाचा की लडकी रूपाली को एक २
बार चोद सकता था.. ये बात मैं जानता था.. उस नये कमरे में जहाँ अभी ५ फुट ऊँची
दीवाल ही उठ पायी थी वहीँ कुछ खाली सीमेंट की बोरीयां पड़ी थी.. इस जगह पर रूपाली
को आराम से चोदा जा सकता था.. मैंने झट से चार ५ बोरियों को जोड़ कर बिछा दिया.. रूपाली
को वहीँ लिटा लिया.. सीधा रूपाली की चूत पर हमला किया.. उसने महरून रंग का सलवार
कमीज पहन रखा था.. मैंने सीधा उसकी चूत पर हमला करना सही समझा.. पहले इसको चोद लूँ..
बात में चुम्मा चाटी करता रहूँगा.. अभी हाल में रूपाली की छातियां और भी जादा बड़ी
हो गयी थी.. उभार में अंतर मैं साफ साफ पकड़ सकता था.. मैंने रूपाली की सलवार निकाल
दी, फिर पैंटी निकाल
दी.. रूपाली की चूत बहुत मस्त थी.. मैंने पैंट खोल कर लेट गया.. रूपाली की चूत
पीने लगा.. आज कितने दिनों बाद उसकी चूत के दर्शन हुए थे.. ३ चार बार चुदी चूत भी
क्या चुदी होती है.. मैं जीभ लगा लगाकर आज फिर से उसकी चूत पीने लगा.. अगर इस वक़्त
मेरी चाची [रूपाली की मम्मी] निकल आती और हम दोनों भाई बहन को पकड़ लेती तो कोहराम
मच जाता..
कोई भी चाची ये
बर्दास्त नहीं करेगी की उसकी लडकी को उसके जेठ का लड़का चोदे.. ये कोई भी चाची नही
बर्दास्त करेगी.. रूपाली मेरे नर्म नर्म ओंठ की छुअन से मचलने लगी और पांव चलाने
लगी.. ‘रूपाली पैर
हिलाएगी तो मैंने कैसे तुझे चोद पाऊंगा.. दोनों पैर खोल के रख’ मैंने कहा.. रूपाली शांत
हो गयी.. मुझे मजे से चूत पिलाने लगी.. मैंने कई बार उसकी choot के होठों को हाथ से छुआ
और सहलाया.. फिर चूत पीने लगा.. कुछ देर बाद मैंने रूपाली की चूत में लंड डाल दिया
और उस नए नए बन रहे कमरे में ही खुले आकाश में अपनी चचेरी बहन को चोदने खाने लगा..
कितनी अजीब बात थी अभी कुछ देर पहले मुझे बड़ी थकावट लग रही थी.. पर अब मेरी माल रूपाली
के आ जाने से थकावट बिलकुल गायब हो गयी थी.. मैं रूपाली को पेल रहा था.. उनसे अपनी
कमीज पहन रखी थी.. क्यूंकि असली काम उसकी चूत का था..
उसकी चूची तो मैं
बाद में ही दबा सकता था.. जहाँ मैं रूपाली को ले रहा था वहां बगल में मौरंग,
ईट, सीमेंट की बोरियों का ढेर
लगा हुआ था.. कितनी अजीब बात थी.. ऐसी धूल मिट्टी में कोई भी आशिक अपनी महबूबा को
चोदना नहीं चाहेगा.. क्यूंकि धूल मिट्टी किसे पसंद होती है.. पर दोस्तों मेरे
हालात ही ऐसे थे की मैं क्या करता.. मैं खट खट करके अपनी चचेरी बहन को चोदने लगा..
मेरा लौड़ा पूरा का पूरा रूपाली की चूत में अंदर जाता फिर बाहर आता.. फिर अंदर जाता
फिर बाहर आता..
मैंने एक नजर
अपने पैर की ओर देखा.. सीमेंट, मौरंग वाले मसाले
से मेरा दोनों पैर रंगे हुए थे.. ये तो कहो पैर में मसाला लगा है मेरा लंड में नही
लगा है वरना रूपाली मुझसे चुदवाती भी नही.. क्यूंकि लडकियाँ बड़ी सफाई वाली होती है..
जबकि मेरे जैसे लडके सफाई पर जादा ध्यान नही देते है.. मेरा पप्पू [लंड] मजे से रूपाली
के भोसड़े में फिसल रहा था और उसके चूत के छेद को चोद रहा था.. वो भी खुश लग रही थी..
और मैं तो इधर मजे में था ही.. चूत कितनी छोटी सी होती है, पर इसकी डिमांड बहुत जादा है.. रूपाली को पेलते
पेलते मैं सोचने लगा.. फिर मैंने रूपाली की कमर पकड़ ली और खूब जोर जोर से धक्के
मारने लगा.. मेरे धक्कों की रगड़ से वो गांड उठा उठाकर चुदवाने लगी.. जब रूपाली
गांड उठाती और सिसकती तब मुझे बड़ी मौज आ जाती.. फिर मैं उसे जोर जोर से ठोकने लगा..
रूपाली ने जैसे इस बार अपनी गांड उठाई मैंने अपना हाथ नीचे रख दिया.. इससे अब उसकी
चूत जादा उचाई पर आ गयी और मैं नीचे हाथ रखकर चचेरी बहन को चोदने खाने लगा..
इस समय मैं जन्नत
में टहल रहा था.. कुछ देर बाद मैं उसकी चूत में ही झड गया.. मैंने तुरंत घडी देखी..
अभी कुल ३० मिनट ही हुए थे.. जबकि अभी भी मिस्त्री को आने में आधे घंटे बाकी थे..
मैंने रूपाली को गले लगाया लिया.. उसकी कमीज के उपर से मैं उनके नारियल जैसे
नुकीले मम्मे दबाने लगा और रूपाली के ओंठ पीने लगा.. नीचे ने मैंने उसको नंगा ही
रखा क्यूंकि उसे अभी एक बार और लेने का मूड था.. हम दोनों उस चार ५ सीमेंट की
बोरियों पर लेटे थे.. कितना अजीब था ये.. मैंने ओंठ से रूपाली के होंठो को मुँह
में दबाकर पीने लगा.. मैं ५ मिनट का ब्रेक लिया..
‘रूपाली!! अभी
सलवार मत पहनना! एक बार और चोदूंगा! मूत के आता हूँ’ मैंने उससे कहा और मुतने चला गया.. वहीँ पास
में एक दीवाल थी.. मैं उस दीवाल के पीछे मूतने चला गया.. जब मैं पेशाब कर रहा था
तो लंड में थोड़ी जलन हो रही थी.. अपने चाचा की लडकी रूपाली को चोदने से लंड का
टोपा पीछे खिसक आया था.. लंड का सुपाडा बिलकुल गुलाबी गुलाबी रंग का हो गया था..
जबकि लंड की खाल मुड़ मुड़कर लंड पर नीचे की तरह खिसक आई थी.. लंड में जलन हो रही थी..
जब मैं पेशाब की धार छोड़ रहा था, तब भी जलन हो रही
थी.. खैर धार छोड़ छोड़कर अपनी टंकी खाली कर दी.. मैं वापिस रूपाली के पास आ गया..
दूर से उसे बिना सलवार पहने उस सीमेंट की बोरी पर लेटे देखा तो प्यार आ गया.. अपना
मकान बनवाने में उसे कितना सहयोग करना पड़ रहा है.. उसे भी चुदवाना पड़ रहा है.. कोई
भी लडकी सिर्फ कमीज में बिना सलवार पहने बहुत सुंदर लगती है.. ठीक चाचा की लडकी रूपाली
भी लग रही थी..
उसकी पतली पलती
नाजुक गोरी गोरी टाँगे सच में बहुत आकर्षक थी.. घुटने भी बहुत गोरे और सुंदर थे..
मेरी चाची बहुत गोरी थी.. रूपाली उन्ही को गयी थी.. उन्ही का रूप रंग उसे मिला था..
मैंने रूपाली के बगल लेट गया.. मेरे हाथ उसके गोल गोल नये पुट्ठों पर चले गए.. मैं
सहलाने लगा.. रूपाली के ओंठ पीते पीते हम दोनों बात करने लगे..
रूपाली आज के बाद
फिर कब चूत देगी!’ मैंने पूछा
पता नही’ वो बोली
‘क्यूँ नही पता?
क्या तेरा चुदवाने का दिल
नही करता है!”
‘करता है’
‘अच्छा आगे चलकर
तो तेरी शादी हो जाएगी.. अगर तेरा पति तुझे अच्छे से चोद न पाया तो!’ मैंने पूछा
‘तो तुम्हारे पास
आ जाया करुँगी और चुदवा लिया करुँगी!’ रूपाली बोली
ये सुनकर मेरा
दिल खुश हो गया.. मेरे हाथ रूपाली के सूट पर उसकी मस्त मस्त गठीली उपर से दबाने
लगा.. दिल तो यही कर रहा था की उनका सूट निकाल दूँ.. उनकी अंडरशर्ट भी निकाल दूँ..
उसको पूरा नंगा करके चोदूं.. पर इसमें बहुत रिस्क था.. इसलिए मैंने कोई रिस्क नही
लिया.. मैं अपनी चचेरी बहन की चूत पर फिर से आ गया.. फिर से उसकी चूत पीने लगा.. रूपाली
सिसकने लगी.. रूपाली अभी एक६ साल की ही थी.. इसलिए उसकी चूत अभी बहुत छोटी और जरा
सी थी.. पर मेरा लंड तो पूरा का पूरा अंदर ले ही लेती थी.. मैंने ऊँगली और अंगूठे
से रूपाली की रूपवती चूत खोल दी और पीने लगा.. मैं उसके मूतने वाले छेद पर भी जोर
जोर से जीभ फेर रहा था.. जिससे वो जादा चुदासी हो जाए और जोर जोर से लौड़ा अंदर ले..
मैं मेहनत से अपनी चचेरी बहन की चूत पीने लगा.. कुछ देर में वो जादा चुदासी हो गयी..
रूपाली की चुदास देखकर मैं उसकी चूत में २ ऊँगली डाल दी और जोर जोर से उसकी गुलाबी
गुलाबी चूत फेटने लगा..
मेरे जोर जोर से choot फेटने से रूपाली का
दिमाग ख़राब हो गया.. वो खुद अपने हाथों से अपने चुचे दबाने लगी.. वो गर्म गर्म
सिसकी लेने लगी.. उसने अपना मुँह भी खोल दिया.. मैं उसके दांत साफ साफ देख सकता था..
वो मुँह से गर्म गर्म सिसकारी छोड़ रही थी.. मेरे चूत फेटने से ही चचेरी बहन का ये
हाल हुआ था.. रूपाली चुदाई का चरम सुख बटोर रही थी.. मेरी कामवासना और भी जादा बढ़
गयी.. मैं और मेहनत से चूत फेटने लगा.. फच फच की आवाज उस नए बन रहे कमरे में गूंज
गयी.. खुले आकाश के नीचे रूपाली की चुदाई चल रही थी.. मैं और भी मस्ती में आ गया
था.. चूत को जोर जोर से अंदर बाहर करके मैं फेट रहा था.. फिर रूपाली का कुछ मक्खन
चूत से बाहर निकल आया और मेरी ऊँगली में लग गया.. मैं वो मक्खन चाट गया.. मैंने रूपाली
की एक इंची दरार वाली चूत में अपना मोटा लंड डाल दिया.. कसी चूत में थोड़ी मेहनत के
बाद मैं रूपाली को चोदने लगा.. उनके आँखें बंद कर ली थी..
‘आँखें खोल रूपाली!
आँखें खोल!’ मैंने कहा.. पहले तो उसने आँखें नहीं खोली.. वैसे ही एक०
मिनट तक चुदवाती रही.. मैं खट खट करके धक्के मारता रहा.. फिर उसने आँखें खोली..
मेरी नजरों में उसने अपनी नजरें डाल दी.. छिनाल को मैं घूरते घूरते ताड़ते ताड़ते
पेलने लगा.. मैं जोर जोर से अपनी कमर चला चलाकर उसे चोद रहा था.. रूपाली की इस तरह
आँखों में आँखें डालकर खाने में विशेष मजा और सुख मिल रहा था.. मेरा लौड़ा किसी
ट्रेन की तरह उसकी चूत की दरार में फिसल रहा था.. बहुत अच्छे से चूत मार रहा था..
फिर मुझे बड़ी जोर की चुदास चढ़ी.. बिजली की तरह मैं रूपाली को खाने लगा.. इतनी जोर
जोर से उसे चोदने लगा की एक समय लगा की कहीं उसकी choot ही ना फट जाए.. मेरे खटर खटर के धक्कों से रूपाली का पूरा
जिस्म काँप गया.. उसके चुचे हिलकर थरथराने लगे.. मैं बिजली की तरह रूपाली को पेलने
लगा.. मुझे लगा रहा था की झड़ने वाला हूँ.. पर ऐसा नही हुआ मेरा मोटा सा लौड़ा चचेरी
बहन के भोसडे में झड़ने का नाम नही ले रहा था.. अभी कुछ देर पहले मैंने रूपाली को एक
राउंड चोद लिया था.. सायद इसी वजह से ऐसा हो रहा था..
मैंने उस आधे बने
कमरे में बालू, मौरंग, सीमेंट के बीच ही अपने
चाचा की लडकी को खूब लिया.. मैं बहुत देर तक रूपाली को चोदता रहा पर फिर भी नहीं
झडा.. मैंने लौड़ा झटके से निकाल लिया और रूपाली की गर्म गर्म जलती चूत को पीने लगा..
वाकई ये के शानदार अनुभव था.. कुछ देर बाद रूपाली की चूत ठंडी पड़ गयी थी.. मेरे
लौड़े की खाल पीछे को सरक आई थी.. गोल गोल मुड़कर मेरे लौड़े की खाल पीछे आ गयी..
मेरा सुपाडा अब गहरे गुलाबी रंग का हो गया था.. मेरे लौड़े का रूप ही बदल गया था रूपाली
की choot चोदकर.. अब मेरा
लौड़ा किसी बड़े उम्र के आदमी वाला लौड़ा दिख रहा था.. मैं कुछ देर तक अपना लौड़ा
देखता रहा फिर मैंने रूपाली की छोटी सी चूत में डाल दिया.. फिर से मैं उसे चोदने
लगा.. इस बार मैंने बिना रुके उसे काई मिनट तक चोदा क्यूंकि एक बार भी मैं रुकता
या आराम करता तो माल उसके भोसड़े में नही गिरता..
इसलिए मैं उसको
फट फट करके चोदने लगा.. बिना रुके कई मिनट तक चोदने से आखिर मैं झड गया और उसकी
जरा सी छोटी सी चूत में मैंने मॉल छोड़ दिया.. रूपाली को चोदकर मैं उठ गया और खड़ा
होकर पैंट पहनने लगा.. ‘रूपाली! ऐ रूपाली!’ तब तक चाची ने आवाज दे दी..
‘आई मम्मी!!’ रूपाली बोली.. जल्दी से
उनसे सलवार पहनी, नारा बाँधा और घर
में भाग गयी.. आज का एक्सपीरियंस बहुत मजेदार था.. कुछ देर बाद मिस्त्री खाना खाकर
आ गया.. चाचा के २ कमरे में महीना भर लग गया.. इस दौरान चार बार रूपाली की चूत
मारने को मिली..