Saheli Choot Me Mere Pati Ka Lund

Saheli Choot Me Mere Pati Ka Lund

सहेली की चुत में पति का लंड

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मेरी शादी हो चुकी है. मेरे पति विजय मुझे बहुत प्यार करते हैं. फिर भी कभी कभी मन मचल जाता है कुछ नया

 

करने का इस बार मन था औरअपने पति को कुछ नया दिखाने का. पर समझ में नहीं आ रहा था कि क्या किया जाये.

 

विजय के ऑफिस चले जाने के बाद कुछ न कुछ सोचती रहती. अचानक एक विचार मन में आया कि क्यों न विजय को कुछ सरप्राइज दिया जाए. बस मन इसी दिशा में काम करने लगा. वो कहते हैं ना कि जहाँ चाह वहाँ राह

चांदनी रात में पहली सुहागरात की रंगीन चुदाई

जल्दी ही मेरी मुलाकात मेरी एक दोस्त सिमरन से हो गई जो मेरी तरह खुले विचारों की थी. हम एक दूसरे से बात करने लगी, सेक्स को लेकर बातें होती. मैं अपने सेक्स के बारे में उसे बताती. मैंने महसूस किया वो शायद सेक्स के बारे में बात करते करते उत्तेजित हो जाती थी.

 

 

जैसे वो अकसर सेक्स के बारे में बात करते वक्त गरमी महसूस करती. मुझे लगा बात बन जायेगी.

 

एक दिन बातों बातों में पूछ लिया कि वो किस तरह का सेक्स पसंद करती है.

 

वो बोली- ऐसा सेक्स जिसमें सब कुछ भूल जाएं.

 

मैंने पूछा कि क्या वो मुझ से ट्रेनिंग लेना पसंद करेगी?

 

तो वो खुश हो कर बोली- क्यों नहीं.

 

मेरी योजना का पहला चरण पूरा हो चुका था.

 

हम योजना बनाने लगे कि कब मिलेंगे और क्या क्या करेंगे.

 

आखिर वो दिन आ गया. विजय कहीं काम से बाहर जाने वाले थे और देर रात तक वापिसी थी. मैंने सिमरन को बताया कि मैं दो दिन अकेली हूँ.

भिखारी ने मौका देख गांड मारी

सिमरन शाम तक घर आ गई. उसके आते ही मैंने उसे गले लगा लिया और उसके गालों पर एक चुम्बन जड़ दिया. मैंने देखा सिमरन के गाल लाल हो गये थे पर वो शर्म के मारे कुछ ना बोली.

 

 

हम बैड पर बैठ कर बातें करने लगे. मैंने बात करते करते उसका हाथ पकड़ लिया. वो अचानक चुप हो गई और मेरी आँखों में देखने लगी. मैंने देर न करते हुए उसके होठों को चूम लिया. उसने अपनी आंखें बंद कर ली और अपने होंठों को खोल दिया.

 

मैंने अपनी जुबान उसके मुँह में डाल दी और अंदर बाहर करने लगी.

 

वो मेरा पूरा साथ देने लगी. मेरी जुबान को जोर जोर से चूस कर सारा रस अंदर लेने लगी. हमारी सांसें एक दूसरे में समा रही थी.

 

मैंने उसे चूमते हुए बैड पर लिटा दिया. उसके ऊपर आकर उसका चेहरा पकड़ कर उसके दोनों होंठों को मुँह में ले कर अच्छी तरह चूसा.

 

मेरे पूरे बदन में गुदगुदी सी होने लगी. अगले दो मिनट में हम दोनों के जिस्म नंगे थे. मैं उसके ऊपर आ गई और हमारे नंगे जिस्म एक दूसरे के साथ रगड़ खाने लगे. मैं फ़िर बेतहाशा उसके गुलाबी होंठों का मजा लेने लगी. मेरी योनि में से रस निकल कर उसकी योनि में समा रहा था. मेरे दोनों हाथ उसके मम्मों को तकरीबन कुचल रहे थे. फ़िर धीरे से मैंने अपना हाथ नीचे लिया और उसकी चूत पर रख दिया. उसकी चूत की पखुड़ियाँ हम दोनों के रस से भीग चुकी थी.

 

मैंने अपनी एक उंगली झटके से अंदर डाल दी. उसके मुँह से एक जबरदस्त आह निकली और उसने मेरे होठों को अपने मुँह में ले लिया. मैं अपनी उंगली से उसे चोदने लगी. उसने अपनी टांगें फ़ैला दी. पूरा रास्ता मिलने पर मैंने दो उंगलियाँ घुसा दीं. पांच मिनट तक चोदने के बाद मैंने वो भीगी हुई उंगलियाँ उसके मुँह में दे दी. वो अपना रस ऐसे चाट रही थी जैसे कब की प्यासी हो.

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अब तक मेरी हालत खराब हो चुकी थी. मैंने अपना दायाँ मम्मा उसके मुँह में दे दिया. जैसे जैसे वो चूस रही थी मेरी चूत की खुजली बढ़ती जा रही थी. मैंने उसकी टांगें खोल कर अपनी चूत को उसकी चूत के साथ रगड़ना शुरु कर दिया. उसकी आँख़ें बंद थी होंठ खुले. मेरे होंठ उसके होंठों के बिल्कुल ऊपर. अचानक मेरे खुले होंठों से रस उसके मुँह में लार की तरह गिरने लगा. उसने अपना मुँह पूरा खोल लिया और सारा रस पीने लगी. मैं एकदम से उठी और अपनी चूत उसके मुँह से टिका दी.

 

उसने मेरी चूत को चाटते हुए अपनी गर्म जुबान अंदर घुसा दी. मेरी चूत में जैसे आग लग गई. मैं आगे पीछे हो कर उसके मुँह पर अपनी चूत रगड़ने लगी. मेरे सिसकारियों से वो और जोश में आ गई और अपनी एक उंगली मेरे पीछे डाल दी. मैं अपने चरम तक पहुँचने वाली थी. मुझे लगा मेरा पेशाब निकल जाएगा. मैंने सिमरन को यह बताया और उसे हटाने की कोशिश की.

 

पर वो बोली- आज तो जो निकला पी जाऊँगी.

 

सेक्स उसके सिर चढ़ कर बोल रहा था. मैंने भी अपनी टांगें खोल कर उसके मुँह पर टिका दी. एक गुदगुदी के साथ गरम पेशाब की धार सी निकली और धीरे धीरे सिमरन के मुँह में समाने लगी. मैंने देखा वो गटागट मेरा पेशाब पी रही थी. मैं भी जैसे एक एक बूंद उसके मुँह में निचोड़ देना चाहती थी. मैंने देखा उसने एक बड़ा सा घूंट भर लिया और उठ कर बैठ गई. मैं समझ नहीं पाई कि वो क्या करना चाहती है.

 

मेरे कुछ सोचने से पहले उसने होंठ मेरे मुँह से लगा दिया और मुँह में भरा हुआ सब कुछ मेरे मुँह में डाल दिया. न चाहते हुए भी मैं अंदर गटक गई. कुछ कड़वा और नमकीन सा स्वाद था. पर सेक्स के नशे में सब अच्छा लगता है. एक जोरदार चुंबन के बाद फिर से उसने मेरी चूत में अपनी जीभ घुसा दी. मेरे मुँह से निकल रही आहें उसका जोश बढ़ा रही थी. मेरे दाने पर उसकी फिसलती जीभ मुझे जन्नत की तरफ ले गई और मैं जोरदार आह के साथ झड़ गई.

 

 

मैं कुछ थक गई थी पर अभी उसकी बारी थी. मैंने पूरे जोश में उसे उल्टा बैड पर गिरा दिया और उसकी गोरी गोल गोल गांड सहलाने लगी.

 

वो बोली- संजना , काश कोई लड़का भी इस वक्त हमारे साथ होता तो वो गांड को चोदता और मैं तुम्हारी चूत चाटती.

 

मैंने मन ही मन सोचा- यही तो मैं भी चाहती हूँ.

 

मैंने उसकी गांड पूरी खोल कर अपनी जीभ को उस पर रगड़ना शुरू कर दिया. सिमरन की गांड से आ रही महक मुझे पागल कर रही थी. मैंने अपनी जीभ एकदम से अंदर घुसा दी. वो अपनी गांड हिला हिला कर मेरा साथ देने लगी. कुछ देर चाटने के बाद मैंने उसकी चूत में अपनी दो उंगलियाँ डाल दी और उसके दाने को चूसने लगी. उसकी चूत का रस मेरी उंगलियों और होठों पर लग रहा था.

 

इस सबके बीच हम दोनों को पता ही नहीं लगा कि खुले दरवाजे से मेरे विजय न जाने कब अदंर आ गए. वो अपना लंड निकाल कर हिला रहे थे.

 

मैं उन्हें देखकर मुस्कुराई और मुझे अपनी योजना कामयाब होती नजर आई. सिमरन अभी भी आंखें बंद करके लेटी थी. मैंने इशारे से अपने पति को पास बुलाया और सिमरन की गांड खोल कर आंख मारी. मेरे पति समझ गए और अपना गर्म लंड उसकी गांड के छेद पर टिका दिया.

 

इससे पहले सिमरन कुछ समझ पाती, लंड फिसलता हुआ उसकी गांड में घुस गया. सिमरन चिहुंक उठी और घबरा कर पीछे देखने लगी.

 

मैं अभी भी मुस्कुरा रही थी. सिमरन के मुँह पर असमंजस के भाव थे. मैं सिमरन के पास लेट कर बोली- देख, तेरी ख्वाहिश इतनी जल्दी पूरी हो गई.

और उसके होठों को अपने मुँह में ले लिया. मेरे हाथ उसके पूरे बदन पर चलने लगे.

 

एक दो मिनट की हिचकिचाहट के बाद वो सारा माजरा समझ गई और बोली- पहले बताती तो हम जीजू को साथ लिटा कर सेक्स करती.

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मैंने बोला- अब कर ले.

 

मेरे इतना कहते ही वो सीधा लेट गई और अपनी दोनों टांगें फैला कर बोली- जीजू, आज मेरी चूत फाड़ दो, मैं आज पूरा मजा लेना चाहती हूँ.

 

विजय तो पहले ही तैयार थे, झट से अपने सारे कपड़े उतार डाले और अपना छ: इन्च का मोटा लंड मेरी प्यारी सहेली की चूत में डाल दिया. सिमरन ने मुझसे ऊपर आकर अपनी चूत चटवाने को कहा. मैंने फिर से अपनी गुलाबी चूत उसके होठों पर टिका दी.

 

वो मजे ले कर चूस रही थी और विजय अपने लंड के जोरदार झटकों से उसकी चूत का कीमा बना रहे थे. मेरी चूत में फिर से गुदगुदी हो रही थी. सिमरन ने अपनी एक उंगली मेरी गांड में डाल दी और अंदर-बाहर करने लगी.

 

साथ साथ सिमरन अपने दाने को रगड़ रही थी. करीब पंद्रह मिनट की जोरदार चुदाई के बाद सिमरन का पूरा शरीर जोर से कांपा और उसने अपने होंठ मेरी चूत से हटा लिये. उसके मुँह से निकल रही तेज सांसें बता रही थी कि वो झड़ गई थी. पर विजय अभी भी उसे चोद रहे थे. मैंने विजय को इशारे से रुकने को कहा और नीचे लेट गई. अब विजय मुझे चोद रहे थे और सिमरन मेरे मम्मे चूस रही थी.

 

मैंने सिमरन से पूछा कि क्या वो अपना रस मुझे नहीं पिलाएगी तो सिमरन मेरे ऊपर अपनी चूत टिका कर घुटने के बल हो गई.

 

अब मैं सिमरन की चूत और गांड पागलों की तरह चाट रही थी. उसकी चूत से निकल रहा गर्म रस मुझे मदहोश कर रहा था.

 

 

अचानक विजय बोले- मैं झड़ने वाला हूँ.

 

मैं और सिमरन दोनों उठ कर उनके लंड के आगे बैठ गई. विजय हाथ से अपने लंड को हिलाते हुए चरम पर पहुंच रहे थे. एक दम वीर्य की मोटी पिचकारी सी छूटी और सिमरन और मेरा मुँह उससे भीग गया. कमल एक एक बूंद निचोड़ रहे थे. मैंने विजय का लंड हाथ में लिया और चूसने लगी. सिमरन ने भी साथ देना शुरू किया और फिर मैंने और सिमरन ने एक दूसरे को चूमा.

 

मैं अभी झड़ी नहीं थी. विजय के कहने पर मना कर दिया और उन दोनों से वादा लिया कि वो दोनों रात भर मुझे जमकर चोदेंगे.

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