छोटी सी बुर
में मामा का मोटा लंड
चंडीगढ़ से आप
सभी ठरकी दोस्तों को राज शर्मा का नमस्कार! मैं एक बार फिर आप सभी के सामने अपनी
एक नई कहानी को लेकर हाजिर हूं। आप सभी ने मेरी अपनी पिछली कहानियां पढ़ कर मुझे
बहुत मेल व सुझाव दिए उसके लिए आप सभी का धन्यवाद।
मुझसे फेसबुक
पर जुड़ने वाले दोस्तों, सभी गर्म आंटी
भाभियों का इतना प्यार देने के लिए दिल से शुक्रिया। जिन्होंने मेरी पिछली
कहानियों को नहीं पढ़ा वो ऊपर मेरे नाम में दिए लिंक में जाकर मेरी पिछली
कहानियां जरूर पढ़ें।
मेरे बारे में
तो आप सभी जानते ही हैं। मैं राज शर्मा चंडीगढ़ से सैक्सी कहानियां लिखने का व
सैक्स करने का बहुत ज्यादा शौकीन हूँ। एक रात भी मेरी ऐसी नहीं होती जब मैं बिना
लण्ड का पानी निकाले सोता हूं चाहे मुझे अपने हाथों से ही मुठ ही क्यों न मारनी
पड़े। लण्ड तो मेरा हर समय हर जगह खड़ा ही रहता है। पर प्यास तो इनकी रात को ही
बुझा पाता हूं।
दोस्तो,
यह कहानी मेरी एक मित्र
सुहानी की है। जिसने मुझे अपनी आप बीती कहानी के माध्यम से प्रकाशित करवाने की
रिक्वेस्ट की थी। अब आप इस पूरी कहानी का मजा सुहानी की ही जुबानी सुनिये।
मेरा नाम
सुहानी है। मैं 22 साल की एक
सामान्य सी लड़की हूं। यह कहानी 3 साल पहले की
मेरी आप बीती है जो मेरी और मेरे मामा के बीच की चुदाई की है। जिसमें मेरे मामा
ने मुझे चोद चोद कर मेरी बुर का भोसड़ा बना दिया।
mama bhanji sex kahani hindi me
मैं गांव में
अपने माँ बाप के साथ रहती थी। बारहवीं तक की पढ़ाई मैंने अपने गांव के ही स्कूल
से पूरी की। परन्तु मेरा आगे पढ़ने का बहुत मन था। पर गांव में तो 12वीं के बाद कोई कालेज
ही नहीं था। तो मैंने अपने मामा मामी के घर से आगे की पढ़ाई पूरी करने की सोची।
मेरे मामा और
मामी दोनों टीचर हैं। मैंने अपने घर इस बारे में बात की. पहले तो माँ नहीं मानी
पर मैंने बाबूजी को मना लिया और उन्होंने मां को मना लिया। जब बाबूजी ने मामी
मामा से बात की तो वो मुझे अपने पास रखने को राजी हो गए। मैं भी खुशी खुशी उनके
साथ रहने के लिए आ गयी।
तब तक मुझे
सेक्स के बारे में कुछ भी पता नहीं था। मेरे मां बाप ने भी मुझे बहुत समझा बुझा
कर यहां भेजा था कि अगर तेरी कोई भी शिकायत आयी तो वो वापस बुला लेंगे।
मुझे आगे पढ़ना
था तो मैंने उनसे कहा- मैं आपको शिकायत का कोई भी मौका नहीं दूँगी।
शहर आकर मामा
ने मेरा एक अच्छे कालेज में एडमिशन कर दिया। अब मेरा रोज का नियम हो गया,
मैं सुबह तैयार होकर
कालेज जाती और शाम को घर आती। फिर घर आकर पढ़ने बैठ जाती। शाम को जब मामी भी वापस
घर आ जाती तो उनके घर के कामों में थोड़ा उनकी मदद करती। फिर रात का खाना खाकर
थोड़ी देर अपने ही रूम में पढ़ाई करती औऱ सो जाती।
कुछ महीने तो मेरे
ठीकठाक गुजरे। मामा मामी से मैं जल्दी ही घुलमिल गयी थी तो घर की याद भी नहीं
आती थी, यही अब मुझे
अपना घर लगता था।
कुछ महीनों बाद
मुझे पता चला कि मामा को तो शराब की बुरी लत लगी हुई है, वो रात को मामी से लड़ते रहते थे। पर उनकी
लड़ाई किस बात पर होती थी, मैंने कभी
ध्यान नहीं दिया।
एक रात जब मैं
सोई हुई थी तो मामा मामी जोर जोर से चिल्ला रहे थे। मेरी नींद खुल गयी। जब
आवाजें कुछ ज्यादा आने लगी तो मैं उनके कमरे की तरफ गयी। मैंने उनकी खिड़की की
झिरी से देखा मामा पूरे नंगे खड़े थे और मामी से बार बार अपने लिंग को चूसने को
बोल रहे थे।
मैंने पहली बार
उनका लिंग देखा, वो बहुत बड़ा
था। अब तक मैंने छोटे बच्चों की ही लुल्लियां देखी थी।
मामी मान ही
नहीं रही थी इसी चक्कर में दोनों लड़ रहे थे।
मामी भी पूरी
नंगी थी मैं यह सब खिड़की से छुप कर देख रही थी। जब बहुत देर कहने के बाद भी मामी
नहीं मानी तो मामा ने मामी को बेड पर पटक दिया और उन्हें गालियां देते हुये उनकी
बुर में अपना लिंग डालकर उन्हें दनादन चोदने लगे।
मैं पहली बार
किसी की चुदाई देख रही थी। मामी ‘आह आह …’
की आवाज के साथ चुद रही
थी। यह सब देख कर मुझे भी कुछ होने लगा। मेरी बुर का दाना भी अंदर से फड़कने लगा।
मेरा हाथ अपने आप ही वहां चला गया। और मैं आज पहली बार अपनी बुर मसलने लगी।
मामा लगातार
मामी को चोद रहे थे। उनकी चुदाई की आवाज ने मेरा भी बुरा हाल कर दिया था। थोड़ी
देर में मामा हांफते हुए मामी के ऊपर ढेर हो गए। मैं ये देख कर हैरान थी कि मामी
ने मामा का इतना मोटा लिंग कैसे अपने अंदर पूरा ले लिया। थोड़ी देर में मामा उठे
और नंगे ही बाथरूम चले गए मामी तो ऐसे ही करवट बदल कर सो गई।
मैं अपने रूम
में वापस आ गयी। ये मेरे जीवन का पहला सेक्स अनुभव था जो मेरी ख़ुद की मामा मामी
ने मुझे दिया था। अब तो जब भी मुझे मौके मिलते मैं उन दोनों की चुदाई देखने लगी।
मामी मामा का ज्यादा साथ नहीं देती थी। इस वजह से मामा उन्हें और भी बुरी तरह से
चोदते थे।
इनकी चुदाई देख
देख कर अब मैं भी अपनी बुर सहलाना शुरू कर चुकी थी मुझे भी बड़ा मजा आता था। मामी
मामा की शराब पीकर बुरी तरह चोदने की आदत से परेशान हो गयी थी।
एक दिन पता चला
कि मामी का ट्रांसफर कहीं और हो गया है। मुझे तो लगता है मामा से परेशान होकर ही
उन्होंने उनसे किनारा काट लिया।
मामी चली गयी
औऱ हमारे साथ रहने नानी आ गयी।
अब नानी और मैं
ही घर का सारा काम देखते थे। कुछ महीने तो ये भी सही गुजरे पर अब मामा और ज्यादा
दारू पीने लगे।
अगले महीने से
मेरे पेपर होने थे तो मैंने मामा को मुझे थोड़ा पढ़ा देने को कहा।
मामा बोले- दिन
में तो मैं स्कूल में होता हूँ, रात में खाना
खाने के बाद पढ़ा दूँगा।
अब में रात को
खाना खाने के बाद मामा के कमरे में पढ़ने जाने लगी।
दो दिन तो सब
ठीक रहा पर तीसरे दिन मैंने महसूस किया कि मामा मुझे समझाने के बहाने से इधर उधर
छू रहे हैं। मैंने कुछ नहीं कहा क्योंकि मुझे भी अच्छा लग रहा था।
धीरे धीरे मामा
की हरकतें बढ़ती जा रही थी पर मैं भी उन्हें मना नहीं कर पाई।
एक रात ज्यादा
देर तक पढ़ाने के बाद मामा ने कहा- आज तू यहीं सो जा।
उस दिन माना ने
ज्यादा पी हुई थी। मैंने मना किया तो वो मुझे डांटने लगे- मैं बोल रहा हूँ ना,
सो जा।
मैं डर गई और
चुपचाप वहीं सो गई।
थोड़ी देर तो
मुझे नींद नहीं आयी, फिर कुछ देर
बाद आंख लग ही गयी।
रात में मुझे
लगा कि कोई हाथ मेरे ऊपर रेंग रहा है। मैं अचानक उठ गई देखा मामा पूरे नंगे होकर
मेरे बगल में लेटे हैं और मेरी चूचियाँ दबा रहे हैं।
“मामा, ये क्या कर रहे हो?
हटो यहां से।”
“मेरी रानी मजे
ले। देख, तेरी मामी कई
महीनों से मेरे पास नहीं है और मेरा बहुत मन हो रहा है। आज मुझे तुझे चोदना है,
चोदने दे मुझे।”
“नहीं नहीं मामा,
ये गलत है। मैं आपकी
भांजी हूं। छोड़ दो मुझे।” मैं ऊपरी मन से
ऐसा बोल रही थी लेकिन मेरे दिल की गहरायी में मेरी वासना मुझे मामा को आगे बढ़ने
देने के लिए कह रही थी.
मामा मेरे ऊपर
आ गए और जोर से मेरी चूचियाँ मसलते हुए बोले- छोड़ ही तो नहीं सकता मेरी रानी। आज
रात मैं तुझे चोद कर ही रहूँगा।
मामा मेरे बदन
के साथ जोर से खिलवाड़ करने लगे, वो मेरी सलवार
के ऊपर से ही मेरी बुर सहलाने लगे। लेकिन मैं दिखावे के लिए थोड़ा बहुत विरोध
करती रही मामा का!
मामा मुझे समझा
रहे थे- रानी, मान जा ना! अगर
तेरी मामी होती तो ये दिन ही ना आते. अभी वो नहीं है तो थोड़ा अपने मामा की मदद
कर दे। वैसे भी अब तू चुदने लायक हो चुकी है कोई ना कोई तो तेरी बुर फाड़ेगा ही …
तो तेरा मामा क्यों
नहीं। घर की बात घर में भी रहेगी और तुझे भी घर पर ही लण्ड मिलता रहेगा। दोनों
के मजे हो जाएंगे। अगर अब भी तू नहीं मानी तो मैं तेरे घर वालों को तेरे बिगड़ने
की बात बता दूँगा और वे तुझे वापस बुला लेंगे। फिर हो गयी तेरी आगे की पढ़ाई। सोच
ले पढ़ाई के साथ साथ चुदाई के मजे या यहां से घर को विदाई।
मामा को जब लगा
कि अब मैं उन्हें कुछ भी नहीं बोलूंगी तो वो मेरे कपड़े उतारने लगे, उन्होंने मुझे पूरी
नंगी कर दिया। मेरी बुर देखते ही वो बोले- वाह रानी, क्या मस्त बुर छुपा रखी थी तूने! आज से ये
बुर मेरी हुई मैं इसे अब रोज प्यार करूँगा।
मामा धीरे धीरे
मुझे गर्म करने लगे। कुछ ही देर में मुझे और भी अच्छा लगने लगा। इतने दिन उनकी
चुदाई देख देख कर अब मैं भी लुच्ची होने लगी। मैं भी सब कुछ भूल कर उनका साथ
देने लगी। वो कभी मेरी चूचियाँ मसलते कभी चूसते और इस प्रकार वो मेरी बुर तक
पहुँच गए और चाटने लगे।
कुछ ही देर के
बुर चाटने में ही मेरी बुरी हालत हो गयी और मैं उनके मुंह में ही झड़ गयी।
फिर मामा ने
मेरे आगे अपना लिंग मेरे आगे जार दिया और उसे चूसने को बोले।
“मामा, मुझे ये सब करना नहीं
आता।”
“सब सीख जाओगी
रानी। पहले इसे चूमो ओर फिर इसे मुंह में लेकर आगे पीछे करो।”
मैंने मामा की
बात मान कर उनका लंड अपने मुंह में लिए लियी. कुछ देर तो मुझे अच्छा नहीं लगा
लेकिन फिर सही लगने लगा. अजीब सी स्मेल आ रही थी उनके लिंग से। मामा मेरे ही
मुंह में धक्के लगाने लगे।
मेरी बुर फिर
गीली हो गयी। मैंने मामा से कहा- मामा, नीचे कुछ हो रहा है मुझे। अजीब सा लग रहा है, कुछ करो।
“मेरी रानी,
अब तेरी ये बुर मेरा ये
लिंग अपने अंदर मांग रही है। अब चुदने को तैयार हो जा।”
मामा ने पास
में रखी क्रीम पहले मेरी बुर पर अंदर तक लगाई फिर खूब सारी क्रीम अपने लिंग पर
भी मल ली।
मामा बोले-
मेरी जान, पहले थोड़ा दर्द
होता है, उसके बाद बहुत
मजे हैं उसे सहन करना। तू अगर चिल्ललाई तो मां जग जाएगी और तेरी ही बदनामी होगी।
तू ही मेरे लिंग के नीचे नंगी लेटी है मेरे कमरे में। इसलिए अपनी ही पेंटी को अपने
मुंह मे ठूंस ले ताकि तू आवाज न कर सके।
मैंने अपनी
पेंटी अपने मुंह मे ठूँस ली। मामा ने थोड़ी देर लिंग को बुर के मुंह पर रगड़ा फिर
एक हाथ से लिंग पकड़ कर मेरे बुर के छेद पर लगाया और दूसरा हाथ मेरे मुंह पर रखकर
बोले- चल रानी, अपनी टांगें
फैला ले और शरीर को ढीला छोड़ दे।
वैसा ही किया
मैंने … मेरा भी बुरा
हाल था, मैं भी यही चाह
रही थी कि अब मामा जल्दी से अपना लिंग मेरी बुर में डाल ही दें।
जैसे ही लिंग
बुर के मुंह पर सेट हुआ, मामा ने एक जोर
का धक्का लगा दिया। उनका लिंग मेरी बुर की धज्जियां उड़ाता हुआ आधा मेरी बुर में
घुस गया। मेरी तो हालत खराब हो गयी थी. ऐसा लगा जैसे किसी ने बुर में चाकू डाल
कर चीर दिया हो। इतना दर्द होगा ये तो मैंने सोचा ही नहीं था। मैंने चिल्लाने की
बहुत कोशिश की पर मामा ने अपना हाथ मेरे मुंह से हटाया ही नहीं। मैंने उन्हें
अपने से धकेलने की बहुत कोशिश की पर उन्होंने मुझे कस कर पकड़ लिया। अब वो भी हिल
नहीं रहे थे।
थोड़ी देर ऐसे
ही रहने के बाद उन्होंने लिंग को थोड़ा बाहर निकाला और फिर पूरे वेग के साथ
दुबारा धक्का मारा। इस बार उनका लिंग मेरी बुर की सील तोड़ता हुआ पूरा अंदर घुस
गया।
मैं तो बेहोश
सी हो गयी, दर्द से बुरा
हाल था। आँख से आंसू लगातार बह रहे थे पर मुंह में पेंटी व मामा का हाथ होने के
कारण में चीख ही नहीं पाई।
मामा ने मुझ पर
ध्यान दिए बगैर अपनी चुदाई जारी रखी। उनका लिंग झेलना मुझे मुश्किल हो रहा था तो
मैंने मामा को रुकने का इशारा किया।
मामा लिंग को
बुर में डाले ही रुक गए और मेरे मुंह से पेंटी निकाल दी।
“मामा, निकाल लो इसे। बहुत
दर्द हो रहा है। मैं आपका लिंग सह नहीं पाऊंगी। देखो आपने मेरी बुर का क्या हाल
कर दिया है वो पूरी फट गई है। उसमें से खून भी निकल रहा है। छोड़ दो मामा मुझे
रहम करो अपनी भांजी पर!”
“रानी बस हो
गया। अब तो पूरा डाल दिया है मैंने अंदर। पहली बार मे दर्द और थोड़ा खून तो
निकलता ही है डरने की कोई बात नहीं है। तेरी बुर थोड़ी ही देर में मेरे लिंग लायक
जगह बना लेगी फिर तो मजे ही मजे हैं। रही छोड़ने की बात … तो तुझ जैसी कुंवारी लड़की को कैसे छोड़ सकता
हूँ जिसकी बुर में मेरा पूरा लिंग घुसा हुआ है। बहुत सालों बाद तो कुंवारी बुर
और बहुत दिनों बाद बुर नसीब हुई है। आज तो मैं तुझे सारी रात चोदूँगा तभी जाकर
मेरा लिंग शांत होगा।”
फिर मामा मुझे
पेलने लगे। थोड़ी देर में अब मुझे भी मजा आने लगा। मैं भी अब उछल उछल कर उनका साथ
देने लगी। मामा मुझे आसन बदल बदल कर चोदने लगे इस चुदाई में मैं दो बार झड़ गयी।
मामा भी थोड़ी देर चोदने के बाद मेरी बुर में अपना माल गिराने लगे। उनके माल के
बुर के अंदर जाने से मेरी जलती बुर को शांति सी मिल गयी। मैंने भी मामा को कस कर
बांहों में भर लिया। मामा ने भी मुझे अपने से चिपटा लिया और मुझे बेतहासा किस
करने लगे।
थोड़ी देर ऐसे
ही हम दोनों लेट कर अपनी सांसों को कंट्रोल करने लगे। जब सब कुछ शांत हो गया तो
मामा मेरी चुचियों को सहलाकर बोले- अब बता मेरी जान, कैसा लगा अपने मामा से चुद कर?
“मामा कैसा लगा …
आपने तो मेरी जान ही
निकाल दी थी। मेरी इतनी छोटी सी बुर में अपना इतना मोटा लिंग डाल कर इसे फाड़
डाला। देखो मेरी नाजुक सी बुर कैसी कर दी आपने मुझे कहीं का नहीं छोड़ा। अपनी
भांजी को ही चोद डाला। अगर किसी को पता चल गया तो क्या होगा?”
“मेरी जान,
किसी को पता नहीं चलेगा
और तेरी इस जवानी को अब मैं रोज मसलूंगा. तुझे भी घर पर ही चुदाई के मजे मिलेंगे
तो बदनामी का कोई डर नहीं … बस तू खुल कर
चुदाई का मजा ले।”
मामा और मैं
दोनों ने बाथरूम जाकर अपने आप को साफ किया मामा ने मेरी बुर अच्छे से साफ की।
मेरी हालत खराब थी मेरे से चला भी नहीं जा रहा था तो मामा मुझे गोदी में उठाकर
बेडरूम तक लाये। बेड की चादर तो खून से खराब हो गयी थी मामा ने उसे बदला और
बिस्तर पर लिटा दिया।
उस रात मामा ने
मुझे चार बार चोदा और मेरी हालत खराब कर डाली। उन्होंने बुर चोद चोद कर उसे खून
के आंसू रुला दिए। सुबह तो मुझ से चला भी नहीं जा रहा था। दो दिन तो मैं स्कूल
भी नहीं जा पाई। नानी से पैर फिसलने का बहाना बना कर किसी तरह बच गयी।
इन दो दिनों
में मैंने मामा को पास फटकने भी नहीं दिया, न उनके कमरे की तरफ ही गयी।
पर तीसरे दिन
से मेरी चुदाई फिर से शुरू हो गयी, मामा मुझे मेरे ही कमरे में चोदने आ गए। इस बार भी दर्द
हुआ … पर पहले जितना
नहीं।
अब तो मामा
मुझे जब भी समय मिलता, तब चोदने लगे।
उनकी चुदाई तो कभी दिन में भी शुरू हो जाती। अब तो ये सिलसिला ही चल निकला।
लगातार चुदाई से मैं प्रेग्नेंट हो गयी। मामा ने मेरा गर्भपात करा दिया पर मामा
तो फिर भी नहीं माने हर बार मेरी बुर में ही अपना माल डालते रहे।
अब तो वो मुझे
अपनी बीवी ही समझने लगे, रात को दारू
पीकर आते और खूब चोदते। तीन साल मैं उनके घर रही जिसमें 4 बार तो मुझे गर्भपात ही कराना पड़ा। इतनी बार
गर्भपात से मैं कमजोर हो गयी मेरी तबियत भी ठीक नहीं रहने लगी। पर मामा पर तो
कोई असर ही नहीं हो रहा था, उन्हें तो बस
मेरी बुर चोदने से ही मतलब था।
जब मामा की अति
हो गयी तो मैंने अपने रहने का इंतजाम अपनी एक सहेली के साथ उसके रूम में कर
लिया.
तब जाकर मामा
की चुदाई से मेरी जान छूटी।
पर तब तक तो
मेरी बुर का भोसड़ा बन चुका था।
|