मेरी गर्लफ्रेंड की फ्रेंड की चूत की चुदाई-2
सीमा- तो खुद ही उतार दो ना… ये सब काम आपके हाथ से ही अच्छे लगते हैं। मैं- ठीक है.. अगर यह बात है तो मैं ही उतार देता हूँ।
उसकी पैन्ट उतारने के बाद जब उसकी पेंटी का रंग भी काला देखा तो फ़िर मुझसे भी पूछे बिना नहीं रहा गया कि उसने ब्रा ओर पेंटी दोनों ही काले रंग के क्यों पहने हैं?
सीमा- मुझे पता है कि तुझे काला रंग बहुत पसंद है। मैं- नहीं.. मुझे काले रंग से ज्यादा कोई और रंग पसन्द है.. लेकिन तुझे कैसे पता चला कि मुझे यही रंग पसंद है? सीमा- मैंने तेरे वाली से तेरे बारे में काफ़ी कुछ पता किया हुआ है.. इसलिए मैंने ब्रा और पेंटी काले रंग के ही पहने हैं।
अब उसके बदन पर सिर्फ़ ब्रा और पेंटी बची थी.. जो मुझे बिल्कुल भी अच्छे नहीं लग रहे थे.. तो मैंने उनको भी उतार दिया और उसे पूरा नंगी कर दिया। वो बिस्तर पर नंगी लेटी हुई बहुत ही कामुक और चुदासी लग रही थी।
अपनी भी पैन्ट मैंने खुद ने ही उतार दी। अब मैंने उसकी जाँघों पर अपने होंठ रखे तो उसके मुँह से सिसकारी निकलने लगी। उसकी बिना बालों की चिकनी चूत को अपने हाथ से सहलाते हुए उसकी जाँघों से उसके पेट को चूमने लगा। उसने अपनी आँखें बन्द की हुई थीं और जोर-जोर से सिसकारी ले रही थी। वो पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी और उसका अब खुद पर काबू रखना मुश्किल हो गया था।
तभी उसने मुझे अपने ऊपर से धक्का दे कर एक तरफ हटा दिया और अपना हाथ मेरे अन्डरवियर में डाल दिया, वो मेरे लौड़े को अपने हाथ से नापने लगी। मेरे लंड को छोड़े बिना.. मेरे कान के पास आकर बोली- इसका मतलब तुम मेरी सहेली का भी काम तमाम कर चुके हो? मैंने हैरानी से पूछा- मतलब? तो वो बोली- मुझे उसी ने बताया था कि तेरा लंड काफ़ी मोटा और लम्बा है। मैंने हँस कर कहा- लेकिन ये इतना मोटा और लम्बा तो नहीं है जितना तू हैरान होकर बोल रही है।
उसने थोड़ा नाराज होते हुये कहा- अब तुम लोगों को पता नहीं क्या चाहिए.. पूरे 8″ लम्बा है.. और 3″ से ज्यादा मोटा भी है.. इस पर बोलते हो.. ज्यादा मोटा और लम्बा नहीं है। ये लड़की को चोदने के लिए दिया है ऊपर वाले ने.. तुम्हें किसी की जान लेने के लिए नहीं.. और मेरी तो इससे ही जान निकल जाएगी। ‘इसे अपने होंठों से प्यार कर लो.. फ़िर ये तेरी जान नहीं लेगा।’ girlfriend ki friend ki chudaiपहले तो उसने मना कर दिया.. लेकिन जब मैंने उसे दो-तीन बार कहा तो वो मान गई.. लेकिन सिर्फ़ चुम्मी करने के लिए मानी, उसने अपने मुलायम होंठों को मेरे लंड पर लगा दिए। कुछ देर तक चुम्बन किया और फिर अपनी जीभ को मेरे लंड पर फ़िराती रही। अचानक उसने लंड को मुँह मे ले लिया। आह्ह. . मैं तो जैसे जन्नत में पहुँच गया.. और वो भी बड़ी मस्ती से मेरा लवड़ा चूसे जा रही थी.. वो लॉलीपॉप चूसने का मजा ले रही थी। लगभग दस मिनट तक मैं उसके सिर को पकड़ कर उसे लौड़ा चुसवाता रहा.. और वो बड़े मजे से चूसती रही। फ़िर जब मुझसे कन्ट्रोल होना मुश्किल हो गया तो मैंने उसे वहाँ से हटा कर बिस्तर पर सीधा लेटा दिया और खुद उसके पैरों के बीच आ गया।
जब अपने लंड को मैंने अपने हाथ से पकड़ा तो उसने छुड़ा कर अपने हाथ से पकड़ कर अपनी चूत पर लगा दिया और मेरी आँखों में देखा तो मुझे भी सिग्नल मिल गया तो मैंने भी अपना लौड़ा आगे बढ़ा दिया। लेकिन वक्त से पहले और किस्मत से ज्यादा किसी को नहीं मिलता.. तो मुझे कैसे मिल जाता.. सो फ़िसल गया सीधा नीचे की तरफ़.. उसकी चूत बहुत टाइट थी यारों.. मगर कोशिश तो करनी ही थी।
लेकिन अब की बार मैंने ऐसे नहीं किया। आखिर सीमा भी पूरी तैयारी में आई थी, उसने अपने पर्स से वैस्लीन की शीशी निकाल कर मुझे दे दी। मुझे भी उसकी तड़फ और चुदास की जल्दी देख कर एकदम से हँसी आ गई.. आखिर सीमा पूरी तैयारी मे जो आई थी। मैंने उससे वैस्लीन लेकर कुछ अपने लंड पर लगा ली और कुछ सीमा की चूत पर लगा दी। फ़िर से लंड को जन्नत के द्वार पर टिका कर धक्का लगा दिया। एक ही झटके में दो इंच लंड उसकी चूत में चला गया।
मुझे पहले से ही पता था कि जब इतनी टाइट चूत में लंड जाएगा तो वो जरूर चिल्लाएगी.. इसलिए मैंने पहले ही उसके होंठों को अपने होंठों में दबा लिया था.. जिससे उसकी चीख अन्दर ही दब कर रह गई।
सीमा मुझे धक्के देने लगी.. क्योंकि उसको बहुत दर्द हो रहा था। लेकिन मैंने ना तो उसके होंठों को छोड़ा और ना ही उसको छोड़ा। उसकी आँखों में आँसू आ गए थे.. तो मैं ज्यादा जबरदस्ती नहीं कर सकता था। मैं बिना उसके कुछ बोले.. कुछ देर के लिए रूक गया।
कुछ देर बाद जब वो कुछ सामान्य हुई तो मैंने भी धीरे-धीरे धक्के देने शुरू कर दिए। धीरे-धीरे वो भी मेरा साथ देने लग गई। उसको भी मजा आ रहा था, उसके मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगीं।
उसके मुँह से मादक और कामुक आवाजें निकल रही थीं- आह.. आह.. ऊ.. आआआ.. ईईईइ.. कम ऑन.. फ़ाआअस्ट ओह.. फ़क मी फ़ास्ट.. चोद… मेरी चूत फ़ाड़ दे… माँ चोद दे मेरी… बहन चोद दे मेरी… यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं ! मैं भी इसी के साथ उसको गर्दन पर.. गालों पर.. होंठों पर चुम्मियाँ लिए जा रहा था. . जिस से हमारा मजा और भी ज्यादा बढ़ रहा था.. साथ ही तेज-तेज धक्के भी लगाता जा रहा था।
फ़िर अचानक सीमा ने मुझे कसकर पकड़ लिया और मुझे नोचने लगी.. क्योंकि वो झड़ चुकी थी.. लेकिन मैं अभी झड़ने वाला नहीं था। मैं उसकी ठुकाई किए जा रहा था। लगभग दस मिनट तक ऐसे ही धकापेल चुदाई करता रहा.. फ़िर मैं रूक गया और लंड को निकाल कर उसके मुँह में दे दिया.. जिसे वो बड़े प्यार से चूसने लगी। वो अपनी जीभ से ऐसे चाट रही थी.. जैसे लॉलीपॉप चूस रही हो। मुझे भी बहुत मजा आ रहा था.. ऐसे ही वो काफ़ी देर तक चाटती रही और मुँह में लेकर चूसती रही।
अब मेरा माल भी निकलने वाला था.. तो मैंने बोला- मेरा निकलने वाला है.. कहाँ निकालूँ?
वो कुछ नहीं बोली और मजे से चूसती रही। जब मेरा निकलने लगा तो उसने एकदम से मुँह में से निकाल दिया और मेरे पूरे माल को अपनी चूचियों पर गिरा दिया। मेरे लंड से उसने एक-एक बूँद निचोड़ कर निकाल दी और उसे अपनी चूचियों पर फ़ैला दिया। फिर वो कुछ देर तक मेरे लंड से खेलती रही और मैं उसे बाँहों में लेकर सो गया। उस दिन हम लगभग 5 घंटे होटल में रहे और इस दौरान हमने 3 बार चुदाई का मजा लिया। दो बार बिस्तर पर और एक बार बाथरूम में मस्त चुदाई हुई।
हमारा एक-दूसरे से अलग होने का दिल तो नहीं था.. लेकिन हम इससे ज्यादा कुछ कर भी नहीं सकते थे.. क्योंकि वो एक होटल का कमरा था.. कोई मेरा कमरा नहीं था और सीमा मेरी गर्लफ्रेंड की फ्रेंड थी.. कोई मेरी पत्नी नहीं थी। |
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