पति के दोस्तों ने देसी वाइफ का गेंगबेंग किया
दोस्तो, मेरा नाम नन्दिता है। मैं एक शादीशुदा औरत हूं।
यह गैंगबैंग सेक्स कहानी मेरी ही ग्रुप चुदाई की है।
मेरे पति का नाम रमेश है।
मेरा शरीर एकदम गोरी, चिकनी, और हॉट है। मेरे बदन का साइज 33-28-34 है। मेरे जिस्म का साइज को देख कर आप समझ गए होंगे कि मैं क्या चीज हूं।
यही हाल मेरे पति
के दोस्तों का होता है।
जब मेरी शादी हुई थी तब मैं एकदम कुंवारी वर्जिन अनछुई माल थी और सुहागरात को ही मेरी पहली दमदार चुदाई हुई थी और मैं दर्द के कारण बहुत रोई थी।
मेरे पति का लन्ड बहुत बड़ा और काफी मोटा है जिसकी लंबाई शायद 8 इंच है।
मेरे पति ने मेरी एक भी चीख, पुकार गुहार न सुनी और मैं रोती रही वो पूरी रात चोदते रहे।
दो तीन रातों तक मेरी बेचारी चूत की ऐसी ही बेरहम चुदाई चलती रही।
फिर मेरी गांड में जब लन्ड घुसा तो भी मैं दर्द के मारे बहुत रोई, चिल्लाई पर मेरे पति के लंड की भूख नहीं मिटी।
और रफ, हार्ड, ब्रूटल चुदाई की मेरी आदत बन गई।
मेरे पति का जब मन करता तब मुझे नंगी करके चोद देते थे क्योंकि घर में हम ही दो रहते थे।
तीन साल बाद … एक दिन की बात है जब मेरे पति ने अपने कुछ दोस्तों को घर पर खाने के लिए निमंत्रित किया था।
उनके नाम लोकेश, सलीम, हरीश, दीपान्श और सुरेश व एक और था।
सब एक से एक हट्टे कट्टे थे।
उस दिन मैंने लाल रंग की साड़ी पहनी हुई थी जिसमें मेरी गहरी नाभि साफ दिखाई दे रही थी।
मेरी रेड ब्लाउज लो कट थी जिससे मेरी क्लीवेज साफ दिख रही थी जो मेरे पति के दोस्तों को ललचा रही थी।
मैं रसोई में भोजन बना रही थी, तभी वहां लोकेश आया और कहने लगा- भाभी जी, मैं आपकी कुछ मदद कर दूं?
तो मैं बोली- अरे देवर जी आप क्या मदद करेंगे?
वो बोले- भाभी जान … आप जो कह दें, कर दूंगा।
फिर मैं बोली- नहीं … रहने दीजिए।
मैंने धीरे से नज़रें ऊपर की तो देखा कि वो मेरे ब्लाउज के गले से मेरी क्लीवेज और मेरे बूब्स देखने की कोशिश कर रहा था।
फिर मैंने पूछा- क्या देख रहे हैं आप?
लोकेश- कुछ नहीं भाभीजान!
फिर मैं अपने काम करने लगी।
कुछ देर बाद वो मेरे करीब आया और मेरी कमर को कस कर पकड़ लिया।
मैं बोली- देवर जी, मुझे छोड़ दीजिए … मुझे बहुत काम है।
वो बोले- अभी चोद देता हूं।
तो मैं बोली- आप कुछ गलत बोल गए हैं।
वो मुस्कुराए और मेरी पीठ पर दो तीन बार किस किया और मुझे अपनी बांहों में दबाने लगे।
मैं कुछ नहीं बोली और अपना काम करती रही।
कुछ देर बाद एक रॉड जैसे मेरी गांड के बीच में मोटा सा कुछ महसूस हुआ।
मुझे कुछ समझ नहीं आया पर मुझे ये अहसास हुआ कि वो लोकेश का लन्ड ही था।
पर उसका लंड मुझे मेरे पति के लंड से बहुत बड़ा लगा।
वो अपना लंड मेरे पीछे मेरे कूल्हों के बीच में गांड की दरार पर रगड़ रहा था।
कुछ देर ऐसे करने के बाद वो वाशरूम में चला गया।
मैं यह सोच कर बिल्कुल दंग रह गई कि किसी का इतना बड़ा लन्ड कैसे हो सकता है।
फिर कुछ देर बाद सलीम भाई आए। उन्होंने भी ऐसे ही मेरी कमर को पकड़ के दबाया और अपना बड़ा सा लन्ड मेरे कपड़ों के ऊपर से ही मेरी गांड की दरार के बीच में रगड़ा।
मुझे भी अच्छा लगने लगा था तो मैंने कुछ नहीं कहा।
फिर वो भी वाशरूम चला गया।
अब तक भोजन बन गया था, मैंने सर्व कर दिया।
सब लोनों ने पेट भर के खाना खाया।
भोजन करते हुए भी वे सब लोग मेरे ब्लाउज के गले के लो कट में से मेरे क्लीवेज को ही घूरते रहे।
सुरेश और दीपान्श जी ने तो डाइनिंग टेबल के नीचे से अपने पैरों से मेरी साड़ी ऊपर सरकाई और मेरी दोनों जांघों को जानबूझ कर छूते रहे।
फिर भोजन के बाद सबने खूब बीयर पी।
मेरे पति की बीयर में इन सबने नींद की गोली मिला दी।
वो सोने चले गए। मेरे पति गहरी निद्रा में सो गए।
फिर इन सबने मुझे भी दो जाम पिलाया। फिर इन्होंने मेरे साथ खूब डांस किया।
मैंने भी पति के दोस्त समझ कर डांस किया।
डांस करते करते एक ने मेरी कमर में पीछे से हाथ डाला और कहने लगा- भाभी, कुछ हॉट ठुमके हो जायें।
मुझे कुछ समझ नहीं आया।
फिर उसने मुझे पीछे से ही अपनी ओर खींचा और मेरा पल्लू नीचे सरका दिया।
उसके बाद मेरी गांड को अपने लन्ड से सटा कर घुमाने लगा।
फिर एक ने आगे से आकर मेरे सिर को पकड़ कर मेरे होठों को अपने होठों से दबा लिया, मेरे होंठों को चूमने, चूसने लगा।
पीछे वाले ने भी अपने हाथ मेरी नंगी कमर से हटा के मेरी छाती पर रख लिए और मेरे बूब्स को सहलाने लगा।
अचानक कुछ देर बाद मुझे उसके बड़े लन्ड का अहसास हुआ और मैं दूर हो गई उनसे!
फिर मैं उनके बिस्तर लगाने चली गई।
मैं समझ गई थी ये लोग मेरे साथ कुछ भी कर सकते हैं।
मुझे भी इस खेल में मजा आने लगा था।
फिर वो कमरे में सोने आ गए।
तो मैंने उनसे कहा- मैं सोने जा रही हूं। सभी को शुभ रात्रि!
और मैंने लाइट बंद कर दी।
जब मैं रूम से बाहर जा रही थी तब उनमें से एक ने मुझे खींच लिया।
मैं थोड़े नशे में थी तो कुछ पता नहीं चला।
उन्होंने मुझे बिस्तर पर लिया लिया और मेरी साड़ी और पेटिकोट को निकाल दिया।
मैं उनसे कुच्छ भी कहने की स्थिति में नहीं थी, मुझे मजा आ रहा था।
फिर वो सब नंगे हो गए और सबने बारी बारी अपना लन्ड मेरे मुंह में देने शुरू कर दिया।
मैं भी बड़े छोटे लंड अपने मुंह में लेकर चूसने लगी।
कुछ देर चूसने के बाद सबके लंड खड़े हो गए।
तभी उनमें से एक ने लाइट जला दी।
तो मैंने देखा कि इन सबके लन्ड मेरे पति के लन्ड से बड़े और मोटे थे।
मैं तो इतने सारे लन्ड देख कर डर गई पर वो बोलने लगे- कुछ नहीं होगा मेरी जान … कुछ नहीं होगा।
फिर मैंने धीरे से हां में सिर हिलाया।
उनमें से एक ने मेरी ब्रा और पैंटी उतार दी और उठा कर बिस्तर पर चित पटक दिया।
उसके बाद अब मेरे ऊपर टूट पड़े।
एक ने अपना लन्ड मेरी चूत पर सटाया और रगड़ने लगा।
दो मर्द मेरे बूब्स को मुंह में भर के चूसने लगे। दो ने मेरे हाथों में लन्ड रख दिया और एक ने मेरी गांड को निशाना बनाया।
फिर मेरी चुदाई सुरु हो गई।
कभी किसी का लंड चूत में तो कभी किसी का!।
पूरा रूम सिर्फ आह आहआ हआ हहआ हआह आह … उह उह उह आउच यस फ्क फ्क फ्क् फच फच फच की आवाजों से ही गूंजता रहा।
मेरी चूत और गांड का पूरा भोसड़ा बना दिया उन सबने!
घण्टों चली लम्बी चुदाई के बाद मैं थक कर निढाल हो गई।
मेरी चूत में इतनी जलन थी कि जैसे मानो आग लगी हुई थी और मेरी गांड की तो हालत बिल्कुल खराब थी।
मैं चल नहीं पा रही थी।
फिर सब लोग अपना वीर्य मेरी चूत में निकलने को कहने लगे।
मैंने बिल्कुल मना कर दिया और कहा- चूत में नहीं डलवाऊँगी, और जैसे मर्जी कर लो।
फिर क्या था … उन्होंने मेरे मुंह को पूरा वीर्य से भर दिया और पूरा वीर्य पिला दिया, बाहर नहीं गिरने दिया।
पूरी रात चले गैंगबैंग सेक्स में उन्होंने मेरी चूत गांड और मुंह की चुदाई की और मेरी पूरी बॉडी और गांड को अपने वीर्य से भर दिया।
इतनी चुदाई में सुबह हो गई और मैं उठकर चल भी नहीं पा रही थी।
तो एक ने मुझे उठाकर बाथरूम में ले जाकर रख दिया।
इस तरह मेरी पहली गैंगबैंग चुदाई हुई। मैं टूट गयी थी, थक गयी थी लेकिन मुझे मजा बहुत आया था।
एक हफ्ते तक मैं ठीक नहीं हो पायी लेकिन उसके बाद मेरे मन में ये विचार आने लगे कि फिर से ऐसी चुदाई का मौक़ा मिल जाए तो मजा आ जाए।