साली की छोटी बेटी की कुंवारी चूत की चुदाई
नई चुत की एडल्ट हिंदी कहानी में पढ़ें कि मैंने अपने साले की बड़ी बेटी की मदद से उसकी छोटी बहन की चूत चुदाई का जुगाड़ किया.. उसे होटल में लेजाकर चोदा..
दोस्तो, मैं दर्शन सिंह फिर से अपनी नई चुत की एडल्ट स्टोरीज इन हिंदी लेकर आप सभी के सामने हाजिर हूँ..
आपको मेरी सेक्स कहानी के एक भाग
साले की बेटी की चुदाई
में इस बात की जानकारी होगी कि मैंने अपनी भतीजी मनु की चुदाई करते समय उससे अपनी एक इच्छा जाहिर की थी कि मुझे मनु की छोटी बहन रुबिका की शादी से पहले उसकी चुत चोदने का मन है..
इस बात पर मनु ने हंस कर हामी भर दी थी.. वो बात किस तरह से आगे बढ़ी इसका जिक्र मैंने अपनी इस सेक्स कहानी में किया है..
मेरी पिछली सेक्स कहानी
साले के दामाद ने कोरी चुत चुदवाई
में आपने पढ़ा था कि मेरे साले के दामाद विमल ने मुझे अपनी दुकान के पास की एक कमसिन लौंडिया की कोरी चुत चुदवाई थी..
अब आगे नई चुत की एडल्ट हिंदी कहानी:
सील पैक लौंडिया की चुत फाड़ने के बाद मैं फारिग हुआ और कपड़े पहन कर विमल दुकान पर आ गया..
उसकी दुकान पर आते ही मैं बोला- विमल मुझे घर जाना है..
चूंकि मैं बहुत टुन्नी में था, तो विमल ने अपने नौकर को मुझे घर तक भेजने की हिदायत दी और उसे मेरे साथ भेज दिया..
हम दोनों घर की ओर लौट आए..
घर आकर मैं अपने साले की बेटी मनु के ऊपर चढ़ गया और उसे एक बार हचक कर चोदने के बाद सो गया..
वीणा मौसी को अचानक जाना पड़ गया था.. इस बात की जानकारी मुझे तब हुई, जब मैं सोकर उठा..
मैं उठ कर बाहर आया तो देखा कि मनु और विमल दोनों बैठ कर पैग जमा रहे थे..
उसी समय मेरे घर से मेरे बेटे का फोन आ गया और उसने मुझे तुरन्त घर वापस आने को बोला..
मैंने जाने की तैयारी की, तो विमल मेरी तरफ लालसा से देखने लगा..
विमल के अकाउंट में मैंने दो लाख ट्रान्सफर कर दिया.. विमल खुश हो गया..
मैंने उसको एक कार टैक्सी लेने भेज दिया.. क्योंकि वो भी टुन्न था और मेरे साथ मुझे छोड़ने जाने से अच्छा था कि मैं टैक्सी से ही चला जाऊं..
फिर मुझे जाते वक्त एक बार मनु को और चोदने का मन भी कर रहा था..
विमल मेरे लिए टैक्सी लेने चला गया.. इधर मनु और मैंने जल्दी जल्दी अपना सामान पैक किया..
पता नहीं क्यों विमल को देर हो रही थी.. मैंने मनु की तरफ देखा तो उसने बताया कि मैंने ही उससे देर से आने को कहा था..
मैं समझ गया मेरा मन तो खुद ही मनु की चुदाई करने का था..
उसी समय मैं मनु के साथ एक जल्दी वाली छोटी सी चुदाई करने लगा.. मनु मेरे नीचे से अपनी गांड उचकाते हुए मुझसे बार बार खुद को मुंबई शिफ्ट करवाने को बोल रही थी..
मैं लंड चलाने में मस्त था.. चूंकि मैं जल्दी झड़ता नहीं हूँ … लेकिन जैसे तैसे मैं स्खलित हुआ..
अपनी भतीजी मनु की चुदाई के बाद मैंने एक सिगरेट सुलगाई और कश खींचने लगा.. कुछ ही देर में विमल टैक्सी कार लेकर आ गया..
मैं उधर से मनु और विमल को जल्दी मुम्बई बुलाने का वादा करके मेहसाणा से निकलने लगा.. जाने से पहले मनु ने पानी, कुछ नमकीन, दो शराब की बोतलें और सर्दी से बचने को एक कंबल कार में रख दिया था..
मैं सुबह मुम्बई पहुंच गया.. कुछ दिन ठहर कर एक मकान और दुकान देख कर मैंने मनु और विमल को मुम्बई बुला कर शिफ्ट कर दिया..
अब जब भी मेरा मन होता, तब मनु के घर चला जाता और उसकी मस्त चुदाई कर लिया करता..
विमल का भी बिजनेस इधर सैट करवा दिया था.. वो अपने काम के सिलसिले में ज्यादातर घर से बाहर रहने लगा था.. इसलिए मुझे और मनु को खुल कर चुदाई का खेल खेलने में सुविधा होने लगी थी..
मैंने एक दिन मनु को चोदते हुए उससे रुबिका की चुदाई की बात याद दिलाई..
मनु ने अपने वादे के मुताबिक अपनी छोटी बहन को अपने पास बुला लिया..
रुबिका के आने के बाद मनु के घर मेरा आना जाना कुछ ज्यादा ही बढ़ गया.. विमल, मनु और रुबिका के साथ रोजाना किसी अच्छे होटल में जाते, बियर मंगवा कर पीते हुए मौज करने लगे थे..
पहले दिन तो रुबिका ने बियर पीने से मना कर दिया था, मगर मनु रुबिका को साइड में ले जाकर उसे समझा बुझा कर ले आई..
पहली बार रुबिका को बियर पीने में कुछ कठिनाई हुई.. आधी बोतल पीने के बाद रुबिका बहकने लगी..
मनु ने मुझे सीट बदलने का इशारा किया.. मनु मेरी जगह आकर बैठ गयी और मैं मनु की जगह आकर बैठ गया..
सोफा की साइज छोटी होने के कारण मुझे रुबिका से चिपक कर बैठना पड़ा..
अब रुबिका कोई पत्थर की मूर्ति तो थी नहीं … उसे भी मेरा बदन अपने बदन से चिपका होने का अहसास था, परन्तु बियर का नशा होने के कारण उसमें भी मादकता आई हुई थी..
मनु ने बियर खाली देख कर और बियर का ऑर्डर दे दिया.. रुबिका धीरे धीरे डेढ़ बोतल डकार गई.. वो बियर पीने के बाद मुझसे और मनु से खुल कर बातें करने लगी..
हमारी बातें बड़ी सेक्सी हो रही थीं.. मैंने रुबिका के मादक बदन पर भी हाथ से टच करके मजा ले लिया था..
इस तरह कुछ देर हम सभी ने एन्जॉय किया.. फिर उसी होटल में खाना खाकर वापस आने लगे..
आते वक्त टैक्सी में बैठते समय मनु ने पहले खुद बैठ कर मुझे बीच में बैठा दिया.. मेरे पास रुबिका बैठ गई थी.. आगे ड्राइवर के पास विमल बैठ गया था.. इस तरह तीन चार दिन हम लोग इसी तरह से मजा लेते रहे..
एक दिन होटल से वापसी के समय मनु ने अपना बायां हाथ मेरे गले में डाल दिया.. कुछ देर रुबिका ने ये महसूस किया मगर वो उस समय कुछ नहीं बोली..
रास्ते में जहां कहीं सड़क पर अंधेरा आता, तब मनु मेरे लंड को सहलाने लगती.. रुबिका ये सब कनखियों से देख रही थी..
इस बात का पता दूसरे दिन मुझे मनु के फोन से मिला..
दूसरे दिन मनु ने सारी बात बताई और साथ में ये भी बोली कि उसने रुबिका को सच्चाई बता दी है कि किस तरह शादी होने के बाद भी वो प्यासी रह जाती थी.. यह तो संयोग हुआ था कि फूफाजी मिल गए थे.. वरना आज तक उसकी प्यास को बुझाने वाला कोई नहीं था..
मनु ने रुबिका को सब डिटेल में बताया था कि उसकी शादी के दो साल तक सब ठीक रहा था.. उसके बाद विमल नकारा हो गया.. इसलिए मुझे फूफाजी का साथ मिल गया था और हमारे रिश्ते के बारे में विमल को भी सब मालूम है..
मैंने मनु से ये सुना, तो मैंने उससे पूछा कि ये सब तो ठीक किया, मगर रुबिका को मेरे साथ सैट करने के लिए तूने क्या किया?
मनु बोली- मैंने रुबिका को अपना सुझाव दिया है कि जिस्म का सुख लेने में कोई बात नहीं होती है.. मैंने फूफाजी के बड़े लंड का खूब मजा लिया है.. मैंने उससे कहा कि मैं तेरी बड़ी बहन हूँ, तू भी चाहे तो ये सुख ले सकती है.. कहीं ऐसा न हो कि एक दिन तेरा भी मेरे जैसा हाल हो जाए..
मैं मनु की बात सुनकर खुश हुआ कि उसने रुबिका को मेरे मजबूत लंड के बारे में बता दिया है..
फिर मनु ने आगे बताया कि उसने रुबिका को कहा कि मान ले आज तेरी सगाई हो चुकी है, कुछ महीने बाद शादी भी हो जाएगी.. एक दो साल बात करते निकल जाएंगे, फिर मेरे जैसी तू भी तड़पती रहना.. अभी फूफाजी तुम्हारे ऊपर फ़िदा हैं.. एक बार तू फूफाजी को खुश कर दे.. तेरी शादी बाद तुझे मुम्बई में किसी मकान में शिफ्ट कर लेंगे..
इस तरह से मनु ने एक हफ्ते में किसी तरह से रुबिका को राजी कर लिया था..
रुबिका को मनाने के मनु ने मुझे फोन किया और खुशखबरी सुनाई..
उस दिन रुबिका और मैं दोनों ही होटल की और निकल पड़े, आज विमल और मनु को मैंने साथ नहीं लिया था..
हम दोनों एक फाइव स्टार होटल में चले गए.. उधर जाकर बियर पीने लगे..
कुछ देर के बाद मैंने रुबिका की जांघ पर हाथ रख दिया.. हम बार में कोने में बैठे थे, वहां रोशनी बहुत कम मात्रा में आ रही थी..
रुबिका की जांघ पर हाथ रखने से रुबिका ने एतराज नहीं किया.. इस दरम्यान बियर खत्म हो चुकी थी.. हम नई बियर मंगवा कर पीने लगे..
जब मैंने देखा कि रुबिका पूर्ण रूप से होश में नहीं रह गई है, तो मैं उठ कर काउन्टर पर गया और उधर एक कमरा बुक करवा आया..
मैं कमरे को देख कर कमरे की चाबी भी ले आया..
जब मैं वापिस बार में पहुंचा, तब तक रुबिका की जुबान लड़खड़ा रही थी.. मैंने रुबिका की कमर में हाथ डाला और रेस्टोरेन्ट में पहुंच कुछ खाया.. खाने के बाद मैंने रुबिका को निम्बू पानी पिलाया.. अब रुबिका की जुबान लड़खड़ा नहीं रही थी.. रुबिका के साथ बिल अदा करके हम तीनों होटल के उसी कमरे में पहुंच गए..
कमरे में पहुंचते ही मैंने अन्दर का दरवाजा बन्द कर लिया और रुबिका को लेकर बिस्तर में घुस गया.. उसके होंठों से होंठों को मिला कर मैं उस गर्म माल का चुम्बन लेने लगा..
कुछ ही देर में रुबिका भी काफी गर्म हो चुकी थी.. मैंने रुबिका के सारे कपड़े खोल कर उसको नंगी कर दिया..
कुंवारी रुबिका का मस्त जिस्म मेरे सामने खुला पड़ा था.. मैंने एक बार नजर भर कर उसकी जवानी को देखा और अगले ही पल उसी कमसिन बुर में जीभ डाल कर चुत चूसने लगा..
रुबिका को पहले से ही मस्ती चढ़ी हुई थी..
अब वो थोड़ा डरने लगी, मगर मैंने अपने सारे कपड़े उतारे और रुबिका के पैरों से चुंबन लेते लेते ऊपर तक पहुंच गया..
इस समय मेरा लंड उसकी नई चुत पर टकरा रहा था.. कुछ देर लंड को उसकी बुर पर ऊपर से नीचे तक फिराने लगा..
रुबिका की हालत जल बिन मछली की तरह हो गयी थी.. वो लंड अन्दर लेने के लिए मचल रही थी..
मैं उचित मौका देख कर लंड को उसकी बुर में धीरे धीरे पेलने लगा.. जब तक मेरा एक चौथाई लंड नई चुत के अन्दर पहुंचा, तब तक तो रुबिका ने आसानी से लंड सहन कर लिया..
फिर अचानक से रुबिका अपनी गांड को उठा कर ऊपर नीचे होने लगी.. मुझे मौका अच्छा दिखा.. मैंने उसके होंठों को होंठों से कस कर पकड़ कर लंड को जोर से धक्का दे दिया.. एक बार में ही लंड आधे से ज्यादा चुत चीरता हुआ घुस गया..
रुबिका की चीख निकल गयी.. वो छूटने के लिए मचलने लगी.. मगर में बलिष्ठ भुजाओं की कैद से वो नाजनीन अलग हो ही न सकी..
मैंने रुबिका की नई चुत का उद्घाटन कर दिया था.. मैंने एक पल के लिए बिस्तर की सफ़ेद चादर पर देखा … तो चुत फटने से उसका खून बिखरा हुआ था..
मैं कुछ देर रुक गया और रुबिका को विश्राम करने दिया.. जब रुबिका को दर्द होना कम हुआ, तो मैं फिर से धीरे धीरे लंड नई चुत में पेलने लगा..
कुछ ही देर बाद चुदाई अपनी मस्ती में होना शुरू हो गई.. रुबिका भी लंड को झेल चुकी थी और वो भी चुत चुदाई का मजा ले रही थी..
आधा घटा तक मैंने रुबिका को लगातार पेला.. फिर हम दोनों एक साथ स्खलित हो गए.. रुबिका ने स्वर्ग जैसा सुख पहली बार महसूस किया था.. इस कारण उसने मुझे अपनी बांहों में कस कर जकड़ लिया था.. वो अपने दोनों पैरों को मेरे पैरों से लपेट कर लेट गयी.. कुछ देर बाद आवेग समाप्त हो गया था..
रुबिका ने बहुत बढ़िया चुंबन मेरे होंठों पर दिए … फिर वो बताने लगी कि किस तरह मनु ने उसे राजी किया थ..
मुझे रुबिका को फिर से चोदने का हुआ तो मैं फिर से उसकी चुदाई में मग्न हो गया.. उस रात में मैंने रुबिका की चार बार चुदाई की सुबह हम दोनों ने बाथरूम में जाकर स्नान किया..
घर वापिस आकर रुबिका बोली- फूफाजी, जिस तरह आप मनु को रख रहे हैं … मेरी शादी के बाद आपको मुझे भी मुम्बई में रखना होगा..
मैंने वादा कर लिया..
सुबह के इस वक्त पांच बज रहे थे.. टैक्सी में बैठ कर मैंने रुबिका को बताया कि मेरी तुम्हारे साथ हनीमून मनाने की इच्छा है..
रुबिका बोली- मेरी भी है … आप प्रोग्राम बनाओ … किसी हिल स्टेशन चलते हैं..
तभी टैक्सी घर पहुंच गयी.. मैंने मनु को फोन पर रिंग दी और मनु ने दरवाजा खोल कर हम दोनों को अन्दर ले लिया, साथ ही वो मुस्करा पड़ी..
चाय के साथ हम तीनों कमरे में बैठ किसी हिल स्टेशन का प्रोग्राम बनाने लगे.. इसी दरम्यान सुबह के सात बज चुके थे..
तभी मेरे मोबाईल पर फोन आया..
मनु बोली- फूफाजी, मौसी का फोन है.. आप ही उनसे बात करो..
मैंने फोन लिया, तो वीणा मौसी ने पहले तो अपने मुँह से मुझे ढेर सारी गालियां निकालीं..
उसके बाद साली गिड़गिड़ाने लगी.. मौसी बोली- अब मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकती..
मैंने एक दो दिन में ही उसे मुम्बई बुलाने का आश्वासन दे कर फोन बन्द कर दिया.. इसके आगे की चुदाई की कहानी में मौसी, रुबिका और मनु को मैं एक हिल स्टेशन ले गया.. आप सभी को वो सेक्स कहानी जल्द ही पढ़ने को मिलेगी..