shrvya Ki Mahakti Choot Ki Chudai

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श्रव्या की महकती चूत को चोदा

 

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मैं अपने दूर के रिश्ते के चाचा के घर रहकर पढ़ाई करता था. घर में चाचा उम्र 29 साल, चाची उम्र 26 साल, चाची की माँ जिसे हम नानी कहते थे, उम्र 55 साल और चाची की बहन की बेटी रागिनी रहते थे. चाचा प्रखण्ड कार्यालय में काम करते थे और उसी इलाके में अवस्थित डाक-बंगला जो बहुत बड़ा था, के पिछले हिस्से में रहते थे. पिछले हिस्से में तीन बड़े-बड़े कमरे थे. रागिनी देखने में बहुत सुन्दर थी, खूब गोरी, बड़े-बड़े चुचे, बड़ी मस्त लगती थी. लेकिन इसकी चुदाई की कहानी बाद में. अब हम मुख्य कहानी पर आते हैं.

ऑफिस में घोड़े जैसा बड़ा लोडा लिया

बात उस समय की है जब मैं बारहवीं में पढ़ रहा था, मेरी परीक्षा होने वाली थी, मेरे परीक्षा का सेंटर चाचा के आवास से करीब दस किलोमीटर था. सेंटर के पास ही थाना था जिसके प्रभारी मेरे चाचा के दूर के रिश्ते के ससुर थे. उन्हीं के आवास पर मुझे बारह दिनों तक रहना था. परीक्षा से दो दिन पूर्व मैं उनके यहाँ शिफ्ट हो गया. उसी सेंटर पर उनकी भांजी श्रव्या का भी परीक्षा था. वो भी काफी खूबसूरत थी. वहाँ पर पूरा परिवार ग्राउंड फ्लोर पर रहता था और ऊपर छत पर दो कमरा और एक कम्बाइंड बाथरूम था. एक कमरा मुझे और एक कमरा श्रव्या को मिला था ताकि हमारी पढ़ाई में कोई बाधा ना हो.

पहला दो दिन तो यूँ ही गुजर गया. हाँ इस दो दिन में मैंने उसे देखकर यह जरुर तय लिया कि इसके साथ चूमा-चाटी तो कर ही लूँगा, चोद सकूँ या नहीं. क्योंकि इससे पहले मैंने किसी को भी चोदा नहीं था. प्रथम दिन की परीक्षा देकर जब हम लोग लौटे तो रात में एक ही कमरे में बैठकर अपना-अपना प्रश्नपत्र लेकर परीक्षा के सम्बन्ध में बातें करने लगे. बातचीत के दौरान हम लोगों का हाथ एक-दूसरे के शरीर को छू भी रहा था, सामान्य भाव से. इसी क्रम में अचानक श्रव्या ने अपना हाथ मेरे लंड के ऊपर रख दिया, ऐसे जैसे अनजाने में रख दिया हो. मेरे पूरे बदन में जैसे करेंट दौड़ गया लेकिन मैं भी अनजान बना रहा और उसके हाथ को धीरे से हटा दिया.

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वो कनखियों से मुझे देखने लगी. उसे अपनी ओर देखते देखकर मुझे लगा कि शायद उसकी नीयत ठीक नहीं है. लेकिन उस वक्त उसने कुछ और नहीं किया शायद वह भी हिम्मत नहीं जुटा पा रही थी. फिर हम लोग थोड़ी देर और बातचीत करके सो गए.

अगले दिन सुबह मैं बाथरूम में नहा रहा था. बाथरूम दोनों कमरों से अटैच था. दुर्भाग्य से या सौभाग्य से उसके कमरे में खुलने वाला दरवाजा लॉक नहीं था. मैं सिर्फ अंडरवियर में ही नहा रहा था. ठंडा पानी पड़ने के कारण मेरा लंड पूरा फनफनाया हुआ था. अचानक दूसरा दरवाजा खुला और श्रव्या अंदर आ गई. मैंने झपाक से तौलिया कमर में लपेट लिया. पर वो मंद-मंद मुसकुराती हुई बेख़ौफ़ कमोड के पास जाकर अपनी पैंटी नीचे सरकाकर पेशाब करने लगी और बीच-बीच में पलटकर मुझे भी देखने लगी. अब तो उसकी नीयत स्पष्ट हो गई लेकिन मैं फिर भी हिम्मत नहीं कर पा रहा था. जब वो उठकर जाने लगी तो जाते-जाते उसने तौलिए के ऊपर से ही मेरा लंड पकड़कर मसल दिया और भाग गई.

मैं तो गनगना गया. फिर मैं भी बाहर चला आया. थोड़ी देर बाद वो नहाने के लिए बाथरूम में आई तो मुझे भी बर्दाश्त नहीं हुआ और मैं अपने साइड के दरवाजे की झिर्री से उसे देखने लगा. उसे भी शायद इस बात का एहसास था कि मैं उसे देख रहा हूँ, इसलिए वो बड़ी बेतकल्लुफी से मेरे दरवाजे की ओर अपने अंगों को उभार कर नहाती रही. फिर हम लोग परीक्षा देने चले गए, लेकिन चुदाई की भूख शायद हम दोनों के दिमाग में चढ़ चुकी थी. रात में पुनः जब हम लोग खाना-वाना खाकर ऊपर आए तो मेरा दिल धड़कने लगा. थोड़ी देर के बाद वो मेरे कमरे में आज का प्रश्नपत्र लेकर आ गई. कुछ देर तक हम लोग परीक्षा के बारे में बात करते रहे, पर वह तो सिर्फ भूमिका थी, कमरे में आने की. हठात उसने मेरा लंड पजामे के ऊपर से ही पकड़ लिया. 

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मैंने कहा– यह क्या कर रही हो?

तो उसने मुझसे ही सवाल कर दिया– क्या तुम मुझे चोदना नहीं चाहते हो? मैं तो उसके बेबाक सवाल पर भौंचक्क रह गया, कुछ जवाब सूझा ही नहीं. तो वो मुझसे लिपटते हुए बोली– देखो ज्यादा सोचो मत, तुम्हारे मन में भी मेरे लिए कुछ ऐसे ही ख्यालात हैं, मैं जानती हूँ, अपना मन मत मारो, जब मैं खुद ही चुदने के लिए तैयार हूँ तो तुम क्यूँ हिचक रहे हो.

उसके हिम्मत और सहयोगात्मक रवैये को देखकर मेरी भी हिम्मत बढ़ी और मैंने उसे अपनी बाहों में जोर से भींच लिया. वो कसमसा गई और बोली हम दोनों ही अपने घर में नहीं हैं, इसलिए हर काम सावधानी से करेंगे और जल्दी-जल्दी करेंगे. मैं खुश हो गया. उसने अपने रसभरे होंठों को मेरे होंठों पर रख दिया. उसके गर्म होंठ मेरे गर्म होंठों पर जैसे चिपक गए. काफी देर तक हम लोग चूमा-चाटी करते रहे. पर आगे क्या और कैसे करना है, यह ना तो उसे पता था और ना ही मुझे. हम दोनों ही के लिए यह पहला अवसर था. लेकिन श्रव्या में मुझसे कुछ ज्यादा ही हिम्मत थी.

हम लोगों को और कुछ पता हो या ना हो पर इतना तो पता ही था कि योनि में लंड घुसाने को ही चुदाई कहते हैं. अतः मैंने सबसे पहले उसकी सलवार का नाड़ा खोला और उसने मेरे पाजामे का. दोनों के ये वस्त्र उतर गए तो फिर वो मेरा अंडरवियर उतारने लगी और मैंने उसकी चड्डी उतार दी. अब वो मेरे लंड को हाथों में लेकर सहलाने लगी और मैं आनन्द के सागर में गोते लगाने लगा. यह मेरे जीवन का पहला अनुभव था.

मैं भी आवेश में आकर उसकी योनि को सहलाने लगा. उसकी योनि-प्रदेश पर हल्के भूरे बहुत छोटे-छोटे बाल उग आए थे जो एकदम मखमल की तरह थे. मैं उसकी योनि को सहलाते-सहलाते उसके पट को खोलने लगा. वो सीत्कार कर उठी. मेरा लंड भी इतना कड़ा हो गया कि लगा अब फट जायेगा और श्रव्या को भी अब बर्दाश्त नहीं हो रहा था. वो नीचे लेट गई और मेरे लंड को पकड़कर अपने योनि पर रगड़ने लगी. मैं तो पागल हुआ जा रहा था. अब मैं भी अपने लंड का दबाव उसकी योनि पर बढ़ाने लगा. लेकिन योनि में किस छेद में लौड़ा डाला जाता है मुझे पता नहीं था, दूसरी बात उसकी योनि इतनी कसी हुई थी कि मेरा लंड अंदर जा भी नहीं रहा था. फिर उसने ही कहा- जाकर पहले तेल की शीशी लाओ. मैं तेल ले आया. उसने अपने हथेली पर तेल उड़ेल कर मेरे लंड पर लगाया और अपनी योनि के मुहाने पर भी थोड़ा सा तेल उड़ेल दिया. जब मैंने देखा कि तेल योनि के अंदर नहीं जाकर बाहर की ओर बह रहा है तो उसने कहा कि उंगली के सहारे तेल को योनि के अंदर डाल दो.

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मैंने ऐसा ही किया और तेल डालने के क्रम में मैंने अपनी उंगली उसकी योनि के अंदर घुसाई. वो चिहुंक गई, फिर तो मुझे लगा कि उसे मजा आ रहा है, और मैं उसकी योनि में उंगली अंदर-बाहर करने लगा.

वो मस्त होने लगी. जब उसकी बेचैनी बढ़ गई तो मैंने लंड को उसकी योनि के मुंह पर रखा और हल्का सा दबाया तो लंड का सुपारा अंदर घुस गया और वो हल्के से चीख पड़ी.

मैं घबरा कर लंड बाहर निकालने लगा तो उसने मेरे कमर को पकड़कर अपनी ओर खींचा और लंड निकलने नहीं दिया. मैंने उसके चेहरे की ओर देखा, उसके चेहरे पर दर्द झलक रहा था किन्तु उसने कहा- शुरू में ऐसा ही होता है, मैं बर्दाश्त कर लूँगी, तुम लंड मत निकालो और धीरे-धीरे धक्का दो.

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मैं उत्साहित हुआ और फिर एक जोर का धक्का लगाया. और मुझे लगा था कि लगभग 4 इंच लंड अंदर घुस गया.

वो रोने लगी और मुझे लगा जैसे कोई गर्म तरल पदार्थ मेरे जांघों पर बहने लगा. मैं समझ नहीं सका कि वो क्या था. मैं थोड़ी देर रुक गया, पर उसने हिम्मत नहीं हारी. मैं उसे चूमने लगा. दो मिनट बाद उसने कहा– अब धक्का लगाओ !

तो मैं धक्के लगाने लगा. मगर शायद अति-उत्साह, रोमांच और डर के कारण छह-सात धक्के में ही मेरे लंड से कुछ गर्म तरल पिचकारी की भांति निकलने लगा और मैं निढाल होकर श्रव्या के ऊपर ही लेट गया. श्रव्या ने भी मुझे अपनी बाँहों में लपेट लिया और जकड़ने लगी. हम दोनों ही थक गए थे, उसी अवस्था में हम लोग सो गए. मेरा लंड कब सिकुड़ कर बाहर निकला पता भी नहीं चला. पन्द्रह-बीस मिनट के बाद जैसे होश आया. जब नीचे नजर गई तो मैं घबरा गया, क्यूंकि बिस्तर पर खून ही खून था.

उसने कहा- कोई बात नहीं, पहली बार ऐसे ही होता है. उसने झट से बेडशीट को बाथरूम में बाल्टी में पानी से धो दिया. मुझे लगा कि वो कुछ ज्यादा ही ज्ञान रखती है.

मैंने पूछा- मन भरा या नहीं?उसने जवाब दिया- मन तो नहीं भरा ! किन्तु थकान की वजह से फिर दुबारा कुछ करने की हिम्मत नहीं हुई. हम लोग लिपटकर सो गए.

रात के करीब दो बजे हम लोगों की नींद खुली, हम लेटे लेटे ही एक-दूसरे के अंगों से खेलने लगे. मैंने पहली बार उसकी चूची को कमीज के ऊपर से ही टटोला. वो बिस्तर पर ही लहराने लगी. तब मुझे लगा कि योनि-लंड के अलावा भी शरीर के कई अंग हैं जिससे मजा लिया जाता है. 

सुनसान जगह पर मेरी दर्दनाक चुदाई

हम लोग पुनः लिपटने चिपटने लगे. मैंने उसकी समीज और टेप (लड़कियों की बनियान) उतार दी, उसने भी मेरे टी-शर्ट को निकाल दिया. नीचे से तो हम लोग नंगे थे ही. अब मैं उसके पूरे शरीर को चूमने और चाटने लगा. उसकी चूचियों को मुँह में लेकर चुभलाने लगा, वो आह… उह… करने लगी.

फिर मैं सरकते हुए नीचे की ओर आया और उसकी योनि को चाटने लगा. दो-चार बार ही चाटा होगा कि श्रव्या न जाने किस आवेश में आकर मेरे सर को अपनी योनि पर दबाने लगी. उसकी योनि से ढेर सारा लसलसा पानी निकलने लगा और मेरे होंठ पर लग गया. शुरू में तो घिन आई किन्तु उसका स्वाद बहुत अच्छा लगा, तो मैंने उस सारे पानी को चाट लिया.  मुझे ऐसा करते देखकर श्रव्या ने भी मेरे मुरझाये हुए लंड को पकड़कर मुंह में ले लिया और लंड को मुंह में आगे-पीछे करते हुए चूसने लगी.

मैं तो जैसे स्वर्ग में पहुँच गया. उसके इस क्रिया से मेरा लंड फिर से लोहे जैसा कड़क हो गया और मैं पूरी मस्ती में आ गया. श्रव्या भी पूरी तरह गर्म हो चुकी थी. उसने फुसफुसाते हुए कहा- अब नहीं रहा जाता है, मेरी प्यास बुझा दो, मुझे कसकर चोद दो. तो मैंने भी तुरंत उसके दोनों टांगों को फैला कर योनि के ऊपर अपने लंड को सेट किया और एक जोरदार धक्का दिया, आधा लंड घुस गया और वो मचलने लगी. मैंने एक बार फिर जोर से धक्का मारा और इस बार मेरा पूरा लंड उसकी योनि के अंतिम छोर पर टकराने लगा.  वो तो निहाल हो गई.

अब उसके मुंह से अस्पष्ट ध्वनि निकलने लगी. वो बार-बार कह रही थी– और जोर से, कस कर, चोद दो, चोद दो ! और ना जाने क्या क्या. मैं भी अब धीरे-धीरे चोदने लगा, धक्के लगाने लगा. इस बीच एक बार उसकी योनि से गरमागरम रस भी निकल गया और उसके चेहरे पर संतुष्टि के भाव आ गए, उसने कहा- मेरा मन तो भर चुका है, पर जब तक तुम्हारा मन नहीं भरे, तुम चोदते रहो.


चूंकि मेरा एक बार पानी निकल चुका था, इसलिए मेरा लंड देर तक कड़क बना रहा. अब तक मैं तीस-बत्तीस धक्के लगा चुका था और मैं थक भी गया था पर रस निकलने का नाम ही नहीं ले रहा था. लेकिन मैं रुका नहीं, धक्के पर धक्का लगता ही रहा. साथ में उसकी चूची भी मसलता रहा. थोड़ी देर के बाद श्रव्या भी फिर से मस्त हो गई और नीचे से चूतड़ उछालने लगी, उचक-उचक कर चुदवाने लगी. करीब अठारह-बीस धक्कों के बाद उसका बदन अकड़ने लगा, उसने कहा- मेरा तो फिर से रस निकलने वाला है. उसके कहते ही फिर से उसकी योनि में गर्म रस भर गया. अब हर धक्के पर फच-फच की आवाज आने लगी.लेकिन अगले चार-पांच धक्कों के बाद ही मेरी पिचकारी भी छूटने लगी और मैं निढाल हो गया. फिर तो परीक्षा खत्म होने तक हर रात हम लोग चुदाई का खेल खेलते रहे. हर रात दो बार या तीन बार मैं उसको चोदता.

दोस्तो, यूँ तो अब मेरी उम्र 43 साल है, शादीशुदा हूँ, और अब तक न जाने कितनी बार चुदाई का आनन्द लिया है. मेरी पत्नी भी बहुत सेक्सी है और चुदाई में निपुण और पूर्ण संतुष्टि देने वाली है, पर अब शादी के बाद मैंने पत्नी के अलावा किसी को नहीं चोदा.

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